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लोकसभा ने की मणिपुर के मैतई, कूकी समुदायों से शांति की अपील

नयी दिल्ली 09 अगस्त : लोकसभा ने आज एक प्रस्ताव पारित करके मणिपुर के मैतेई और कूकी समुदायों से अपील की कि वे अपने मतभेदों के समाधान के लिए हिंसा का रास्ता छोड़ें और बातचीत से शांतिपूर्ण समाधान खोजें ताकि राज्य पुन: शांति एवं प्रगति की ओर अग्रसर हो।

लोकसभा में सरकार के विरुद्ध विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग ले रहे गृह मंत्री अमित शाह के अनुरोध पर अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से मंजूर किया। गृह मंत्री ने दो घंटे से अधिक लंबे भाषण में विपक्ष द्वारा उठाये गये विभिन्न राजनीतिक मुद्दों का एक एक कर जवाब दिया और मणिपुर की घटना के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी।

श्री शाह ने मणिपुर की घटनाओं को ‘परिस्थितिजन्य नस्लीय हिंसा’ बताते हुए कहा कि इस हिंसा में 152 लोगों की मौत हुई है। सरकार ने तत्परता से कार्रवाई करके हिंसा को नियंत्रित किया और भारत म्यांमार सीमा पर तारबंदी करने, अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती, प्रशासनिक पुनर्गठन, खाद्य एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति समेत हर जरूरी कदम उठाया और स्थिति पर नियंत्रण प्राप्त किया।

गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर के दोनों समुदायों से करबद्ध निवेदन है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं होती है। वे वार्ता करें, वह स्वयं मैतई समुदाय और कूकी समुदाय से वार्ता करेंगे। अफवाहों से अविश्वास का वातावरण बनता है और सबका नुकसान होता है। उन्होंने अपील की कि विपक्षी दल मणिपुर को लेकर राजनीति नहीं करें। इसमें किसी की जान गयी है, किसी का सम्मान गया है, किसी के साथ दुर्व्यवहार हुआ है। सरकार की कोई मंशा नहीं है कि वहां जनसांख्यिकीय अनुपात बदले। शांति के लिए हम हर वह प्रयास करेंगे जो हम कर सकते हैं। वे कितना भी दूर रहते हैं लेकिन वे भारतीय हैं और हम सब उनके प्रति संवेदना रखते हैं।

श्री शाह ने कहा कि घटना के बाद वह स्वयं मणिपुर में तीन दिन रह कर आये हैं, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय 23 दिन रहे। उन्होंने जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया है जिसमें आईपीएस अधिकारी भी हैं। मैतई और कूकी समुदाय के रिहाइशों के बीच बफर ज़ोन बनाने के लिए करीब 36 हजार अर्द्धसैनिक बलों के जवान तैनात हैं। विभिन्न अर्द्धसैनिक बलों, सेना एवं पुलिस के बीच तालमेल के लिए एक एकीकृत कमान प्रणाली स्थापित की गयी है। षड्यंत्र वाले 6 मुकदमे दर्ज किये गये हैं और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दिये गये हैं बाद में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 11 और केस सीबीआई को सौंपे गये हैं।

उन्होंने कहा कि मृतकों को दस दस लाख रुपए का मुआवजा बांटा जा चुका है। 30 हजार टन चावल पहुंचाया गया है। एम्स की आठ टीमें मेडिकल सहायता के लिए भेजी गयीं हैं। बच्चों के 98 प्रतिशत स्कूल खुल चुके हैं। ऑनलाइन क्लास की भी व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि वह मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा हर सप्ताह वर्चुअल रूप से करते हैं जबकि गृह सचिव हर दूसरे दिन ऑनलाइन समीक्षा करते हैं।

गृह मंत्री ने मणिपुर में संविधान के अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर राज्य सरकार को बर्खास्त करने एवं राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल तब किया जाता है जब मुख्यमंत्री एवं राज्य सरकार सहयोग नहीं करें। लेकिन केन्द्र सरकार ने जब घटना के बाद मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक बदले जाने की पहल की तो मुख्यमंत्री ने उसे तुरंत स्वीकार किया और सहयोग किया। ऐसे में अनुच्छेद 356 लगाने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।

इससे पहले श्री शाह ने मणिपुर को लेकर अपनी बात शुरू करते हुए इस बात पर अफसोस जताया कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर अनावश्यक संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी जबकि गृह मंत्री बार बार अपनी बात कहने के लिए अनुरोध कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष उनकी बात से संतुष्ट नहीं होता तो प्रधानमंत्री से बयान की मांग करता। लेकिन गृह मंत्री को बोलने ही नहीं दिया गया।

             गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर के मामले को राजनीति से इतर इतिहास एवं सामाजिक दृष्टि से देखें तो वहां नस्लीय हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। लेकिन बीते छह साल में मणिपुर में भाजपा के शासन के दौरान छह मई 2023 तक एक भी दिन कर्फ्यू नहीं लगा, एक भी दिन बंद या ब्लाकेड नहीं हुआ। उग्रवादी हिंसा तकरीबन समाप्त हो गयी थी।

             उन्होंने इस घटना की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि 2021 में म्यांमार में तख्ता पलट के बाद सैन्य शासन कायम हो गया। इस पर वहां कूकी डेमोक्रेटिक फ्रंट ने लोकतंत्र बहाली का आंदाेलन छेड़ दिया। म्यांमार की सेना ने उनका दमन किया तो वे मणिपुर में घुस आये। चूंकि मणिपुर में भारत म्यांमार सीमा खुली है और दोनों देशों के बीच एक पुराने समझौते के तहत सीमावर्ती इलाकों में 40 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले स्थानीय लोगों को सीमा के आर-पार आने जाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती है। इसलिए बड़ी संख्या में कूकी शरणार्थी भारत में आ गये और जंगलों में डेरा जमा लिया। इससे मणिपुर के समुदायों में असुरक्षा की भावना आ गयी।

             उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में भारत सरकार ने सीमा की तारबंदी करने का निर्णय लिया। करीब 22 किलोमीटर की तारबंदी हो चुकी है और 600 किलोमीटर का सर्वे चल रहा है। इसी बीच इस वर्ष जनवरी से सरकार ने शरणार्थियों के बायोमेट्रिक्स लेकर उन्हें परिचयपत्र जारी करना शुरू कर दिया है और उनके उंगलियों के निशान एवं आंख की पुतली की तस्वीर आधार के डेटा में निगेटिव लिस्ट में डाली जा रही है ताकि वे आधार कार्ड नहीं बनवा सकें।

             श्री शाह ने कहा कि अप्रैल में अफवाह फैल गयी कि शरणार्थियों की 58 बसाहटों को राजस्व गांव का दर्जा दे दिया गया है। इससे अशांति फैल गयी। इसीबीच आग में घी डालने का काम उच्च न्यायालय के 29 अप्रैल के उस निर्णय ने किया जिसमें बिना कोई प्रक्रिया अपनाये मैतई समुदाय के लोगों को आदिवासी का दर्जा देने का आदेश दिया गया। इससे दोनों समुदायों के बीच टकराव शुरू हो गया।

              गृह मंत्री ने कहा कि यह परिस्थितिजन्य नस्लीय हिंसा है। म्यांमार में सैन्य शासन की ढिलाई, नारकोटिक्स का कारोबार आदि भी कारण बने। तीन मई को वहां एक जुलूस निकला जिससे दोनों के बीच भिड़ंत हुई और हिंसा शुरू हो गयी। उन्हाेंने कहा कि हिंसा में अब तक 152 लोगों की मौत हुई है। इसमें 107 लोग मई में, जून में 30, जुलाई में 15 और अगस्त में चार मौतें हुईं हैं। इसका मतलब है कि हिंसा कम हो रही है। लेकिन इसमें राजनीति की जा रही है जिससे नुकसान हो रहा है।

             श्री शाह ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर गये और वहां उन्होंने चूड़ाचंदपुर जाने की इच्छा जतायी। शासन ने कहा कि वे हेलीकॉप्टर से चले जाएं लेकिन वह सड़क मार्ग से जाने के लिए जिद करने लगे। इस पर सुरक्षा बलों ने अनुमति नहीं दी। बाद में वह दूसरे दिन हैलीकॉप्टर से ही वहां गये। उन्होंने कहा कि इस तरह की राजनीति से बचना चाहिए।

             गृह मंत्री ने कहा कि युवतियों को निर्वस्त्र करके दुर्व्यवहार किये जाने वाले वीडियो चार मई के थे। उन्होंने कहा कि ऐसे शर्मनाक वीडियाे समाज पर एक धब्बा हैं। यह एक सवाल है कि संसद के इस सत्र के शुरू होने के एक दिन पहले क्यों वायरल किया गया। यदि जिस किसी के पास ये वीडियो था, उसने समय पर वीडियो को पुलिस को दे दिया हाेता तो कार्रवाई हो जाती। बहरहाल सरकार ने फेस रिकगनीशन सॉफ्टवेयर से दोषियों की पहचान करके नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है।

        भाषण के अंत में श्री शाह ने फिर से कहा, “हम मणिपुर के दोनों समुदायों से अपील करते हैं कि वे जातीय हिंसा छोड़ें, सरकार से चर्चा करके रास्ता निकालें और फिर से खुशहाल मणिपुर बनाइये।”

        उन्होंने सदन से अपील की कि यदि इस सदन से एक स्वर में शांति की अपील मणिपुर के लोगों को जाये कि वे बातचीत करके समस्या का शांतिपूर्ण ढंग से समाधान करें तो यह उनके हित में होगा। इस पर कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी ने कहा कि वह गुरुवार को प्रधानमंत्री की सदन में मौजूदगी के समय यह अपील पारित करने के हक में हैं। लेकिन सत्ता पक्ष ने इस बात को स्वीकार नहीं किया। इसबीच अध्यक्ष श्री बिरला ने सदन की ओर से यह अपील पढ़ी और सदन ने ध्वनिमत से उस पर सहमति व्यक्त की। इसके साथ ही सदन की कार्यवाही कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।

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