Madhupur by-election : भाजपा और झामुमो के बीच कांटे का मुकाबला
देवघर, 02 अप्रैल : मधुपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन वापसी के साथ ही उम्मीदवारों के बीच चुनावी चौपड़ बिछ गया है। जीत के दावों के साथ सभी उम्मीदवार उन गांव-गलियों का चक्कर काट रहे हैं जहां वे आम दिनों में जाने से कतराते थे। मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और महागठबंधन के झामुमो उम्मीदवार के बीच माना जा रहा है। इस प्रतिष्ठित सीट पर जीत के लिए दोनों खेमे पूरा दमखम लगा रहे हैं।
संताल परगना के अत्यंत प्रतिष्ठा वाले इस सीट पर महागठबंधन ने झामुमो के हफीजुल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है। वे हेमंत सरकार के कद्दावर मंत्री रहे हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र हैं और सरकार में मंत्री भी रहे हैं।वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने आजसू से आए गंगा नारायण सिंह को तुरुप के इक्के के रूप में चुनावी समर में उतारा है। राजनीतिक विश्लेषक इन्हीं दो प्रतिद्वंद्वियों के बीच मुख्य मुकाबला मानकर रोज नए समीकरण गढ़ रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले रघुवर सरकार में श्रम मंत्री रहे राज पलिवार का टिकट काट कर गंगा नारायण सिंह को आनन-फानन में मैदान में उतारा है। इससे भीतरघात की चर्चा भी गर्म हो गई है लेकिन स्वभाव से गंभीर माने जाने वाले राज पलिवार बड़े उद्देश्य के लिए छोटी महत्वकांक्षाओं को गौण करने वाले शख्सियत रहे हैं। इस कारण इसकी बहुत कम सम्भावना है कि उनके समर्थक गंगा नारायण की जीत की राह में रोड़ा बनें।
झामुमो के हफीजुल अंसारी भी पिता की विरासत बचाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वे दिन-रात जनसंपर्क अभियान चलाकर जीत के दावे दोहरा रहे हैं। उनके पक्ष में हेमंत सोरेन सहित विपक्षी खेमे के तमाम दिग्गज दिन-रात एक किये हुए हैं। उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, सांसद निशिकांत दुबे, सांसद सुनील सोरेन, पूर्व मंत्री विधायक रणधीर सिंह और जिला अध्यक्ष नारायण दास समेत तमाम दिग्गज खोई हुई इस सीट को दोबारा पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।
इस उप चुनाव में किससे किस्मत का सितारा चमकेगा यह तो 2 मई को ही स्प्ष्ट होगा लेकिन मधुपुर के मतदाताओं के पत्ते नहीं खोलने से सबकी सांसें अटकी हुई हैं। हफीजुल अंसारी को जहां अपने ‘साफ्ट’ पहचान पर भरोसा है कि उन्हें बहुसंख्यकों का वोट भी मिलेगा। वहीं, गंगा नारायण सिंह के पक्ष में यह बात जाती है कि चुनाव में पराजित होने के बाद भी उन्होंने आम जनता का साथ नहीं छोड़ा, जिसके चलते उनकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ी है। यही कारण रहा कि गत चुनाव में आजसू के टिकट से चुनाव लड़कर भी उन्होंने 45 हजार से ज्यादा मत प्राप्त किया था।
इस बार गंगा नारायण भाजपा के टिकट से चुनाव मैदान में हैं। इसका प्रत्यक्ष लाभ यह दिख रहा है कि उनको परंपरागत वोटों के साथ भाजपा का एकमुश्त वोट भी मिलेगा। हालांकि, राज पलिवार का टिकट कटने से उपजी नाराजगी को साधने में दिग्गज नेता जी-जान से जुटे हैं। हफीजुल अंसारी को जिताने के लिए कांग्रेस ने भी कमर कस ली है लेकिन बबलू यादव के प्रत्याशी बनने से उनके समीकरण पर प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है। वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार अशोक ठाकुर भी वोट झटकने में कामयाब रहे तो उनकी मुश्किल बढ़ सकती है।