कड़ाके की ठंड के बीच पूरे देश में मनाया गया मकर संक्रांति पर्व
नयी दिल्ली 14 जनवरी : पूरे देश में कड़ाके की ठंड के बीच मंगलवार को मकर संक्रांति का पर्व हर्षाेल्लास और परंपरागत अनुष्ठानों के साथ मनाया गया।
सूर्य के आज उत्तरायण में प्रवेश करने के मौके पर मनाए जाने वाले मकर संक्रांति और घुघती त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया गया। गंगा, यमुना और राम गंगा नदियों में जहां देव डोलियों को स्नान कराया गया, वहीं श्रद्वालुओं ने भी पवित्र नदियों में डुबकी लगाई। साथ ही, स्थान-स्थान पर खिचड़ी भोज के आयोजन भी किए गए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई मंत्रियों तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने मकर संक्रांति के पर्व पर पूरे देशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में महाकुंभ के मकर संक्रांति अमृत स्नान पर संगम के तट पर मानों आस्था का सैलाब उमड पड़ा है। सुबह 10 बजे तक 1.38 करोड़ श्रद्धालुओं ने कडाके की ठंड और शीतलहर के बीच आस्था की डुबकी लगाई। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में उजाले की पहली किरण निकलने से पहले ही करोडो श्रद्धालुओं ने स्नान किया। 12 किलोमीटर लंबे घाट क्षेत्र में हर हर महादेव और जय श्रीराम के जयघोष के स्वर सुनाई पड़ते रहे। पूरा स्नान घाट कोहरे के चादर में छिपा था। मकर संक्रांति के अवसर पर आधी रात से श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगानी शुरू कर दिया था। महाकुंभ के पहले अमृत स्नान ‘शाही स्नान’ में आस्था का प्रचंड वेग दिखा। साधुओं के दर्शन के साथ पवित्र डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त किया।
पवित्र स्नान का यह दृश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को दर्शाता नजर आ रहा था। ब्रह्म मुहूर्त में ही श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर परिजनों के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की।
मेले में कल्पवास करने और संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम की विस्तीर्ण रेती पर बसाया गया तंबुओं का अस्थाई शहर इन दिनों गहमागहमी से भर गया है। कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बीच भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से प्रभावित कई विदेशी श्रद्धालुओं ने भी इस दौरान ‘पुण्य लाभ’ के लिए संगम स्नान करते दिखायी दिये।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को गुजरात के अहमदाबाद के मेमनगर इलाके में स्थित शांतिनिकेतन सोसाइटी में पतंग उड़ाकर आम लोगों के बीच मकर संक्रांति का पर्व मनाया और मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं दी। श्री शाह के यहां आगमन पर सोसाइटी की महिलाओं और बच्चों ने उनका उत्साहपूर्वक स्वागत किया। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी उनके साथ मकर संक्रांति के इस हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव में शामिल हुए तथा इस पर्व की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर सोसाइटी के सदस्यों ने शांतिनिकेतन सोसायटी को सुंदर और रंग-बिरंगी पतंगों एवं रंगोली से सजाया था। इस मौके पर ढोल-नगाड़ों की थाप और सांस्कृतिक नृत्य के साथ महानुभावों का स्वागत-सत्कार किया गया।
श्री शाह और श्री पटेल ने सोसाइटी के सदस्यों एवं स्थानीय नागरिकों का अभिवादन स्वीकार किया। इसके साथ ही श्री शाह ने सोसाइटी की छत पर पतंग उड़ाने का लुत्फ उठाया।
गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने मकर संक्रन्ति के अवसर पर मंगलवार को कड़ाके की ठंड के बीच शिवावतारी बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ायी। साथ ही, पड़ोसी देश नेपाल के राज परिवार द्वारा भेजी गयी खिचडी चढायी गयी जिसके बाद मंदिर का मुख्य कपाट खिचडी चढाने के लिए श्रध्दालुओं को खोल दिया गया।
सोमवार की रात से कतार में लगे श्रध्दालुओं का तांता शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचडी चढाना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे के कंट्रोल रूम से बैठकर पूरी व्यवस्था पर नजर रखे हुए है। मंदिर के सचिव द्वारका तिवारी ने बताया कि तडके से दोपहर 12 बजे तक तक लगभग पांच लाख श्रध्दालुओं ने खिचडी चढा चुके हैं और देर रात तक लगभग 20 लाख ये अधिक बाबा गोरखनाथ को खिचडी चढाने का अनुमान हैं।
खिचड़ी चढ़ाने के लिये पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात तथा अन्य प्रान्तों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब गोरखनाथ मंदिर में एकत्र हुए। प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही नाथ सम्प्रदाय के प्रसिद्ध शिवावतारी गोरक्षनाथ मंदिर में परम्परागत रूप से खिचड़ी चढ़ीने का क्रम शुरू हो जाता है। निर्धारित मुहूर्त में सबसे पहले गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा खिचड़ी चढ़ायी जाती है।
श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोवर में पहले स्नान करते हैं और उसके बाद योगी गोरखनाथ का दर्शन करने के बाद खिचड़ी चढ़ाते हैं। इस भीम सरोवर में देश के सभी पवित्र नदियों का पानी डाला गया है। मकर संक्रांति के तैयारियों के सिलसिले में शहर के चौराहों तथा गलियों में चूड़ा,लाई,पट्टी,तिलकुट तथा गजक की दुकानें सजी है। मकर संक्रान्ति का पर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पड़ोसी देश नेपाल में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
आगरा का तिल लड्डू बिहार का तिलकुट, बंगाल का रामदाना, कानपुर की गजक एवं लखनऊ की रेवड़ी इस बार लोगों को खूब भा रही है। परम्परागत वस्तुओं के साथ ही साथ इस समय सजावटी सामानों की भी भरमार है।
प्रयागराज से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार मकर संक्रांति के अवसर पर फिजा में डोलती बेलगाम डोर थामने वालों को आसमान की ऊंचाइयां बख्सने वाली अपने ढ़ाई हजार साल से अधिक पुराने इतिहास में अनेकों मान्यताओं, अंधविश्वासों और अनूठे प्रयोगों का आधार भी रही है, पतंग।
अपने पंखों पर विजय और वर्चस्व को लेकर उड़ती पतंग ने अलग-अलग रूपों में दुनिया को न/न सिर्फ एक रोमांचक खेल का जरिया दिया बल्कि एक शौक के रूप में यह विश्व की सभ्यताओं और संस्कृतियों में रच बस गई। पतंग उडाने का शौक चीन, कोरिया, और थाईलैंड समेत दुनिया के कई अन्य हिस्सों से होकर भारत में पहुंचा। देखते ही देखते यह शौक भारत में एक शगल बनकर यहां की संस्कृति और सभ्यता में रच-बस गया।
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति अलग-अलग प्रांतो में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। इस पर्व का महत्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश (संक्रांति) से जुड़ा है और यह पर्व सूर्य देवता को ही समर्पित है। इसे विज्ञान, अध्यात्म और कृषि से संबंधित कई पहलुओं के लिए मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन माना जाता है। इस दिन से शुभ और कार्य शुरू हो जाते हैं।
भगवान सूर्य के उत्तरायण के दौरान पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है और इसका सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। समय के साथ साथ यह जीवंत उत्सव के रूप में विकसित हुआ और 1989 में अहमदाबाद में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव की शुरूआत हुई। आज यह महोत्सव दुनिया के 50 से अधिक देशों के प्रतिभागियों को आकर्षित कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में बस्ती मण्डल के तीनों जिलों बस्ती, सिद्धार्थनगर तथा संतकबीर नगर में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर अपने पुरोहितों को दानपुण्य करके लोगों को खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण कराया है।
सनातन धर्म के जानकार पण्डित विशाल पाण्डेय ने यहां बताया कि मण्डल के तीनों जिलों बस्ती, सिद्धार्थनगर तथा संतकबीर नगर में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर कड़ाके की ठण्ड के बावजूद श्रद्धालुओं ने अमहट घाट, बानगंगा, शाहपुरराप्तीनदी घाट, कबीरचौरा आमीनदी सहित अन्य घाटों पर आस्था की डुबकी लगाकर अपने पुरोहितों को दानपुण्य करके परिवार की सुख, समृद्धि एवं धनधान्य की कामना करते हुए लोगों को खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण कराया गया है। कुछ श्रद्धालुओं ने अपने घर पर ही स्नान करके शुभ मुहूर्त में दानपुण्य किया है खिचड़ी बनाने और खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है तब उस काल खण्ड में हम मकर संक्रांति मनाते है।
उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में आज खरमास खत्म हो गया है और 16 जनवरी से सहालग शुरू हो जायेगी इस साल 65 शुभ मुहूर्त का योग बना है। 16 जनवरी को वैवाहिक लग्न का पहला दिन है।
पुलिस उपमहानिरीक्षक दिनेश कुमार पी. ने बताया है कि मकर संक्रांति के मौके पर तीनों जनपदों में सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध किये गये हैं। सभी मंदिरों का पुलिस द्वारा निगरानी किया जा रहा है।
सागर द्वीप से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक देश के विभिन्न हिस्सों से कड़ाके की ठंड तथा धुंध के मौसम के बावजूद हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम पर पवित्र स्नान किया।
विशाल अस्थायी शिविरों में सर्द सर्द रातें बिताने के बाद श्रद्धालु भोर में उठे और कड़ी सुरक्षा के बीच पवित्र डुबकी लगाई। स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने भक्तों ने सूर्य देव को प्रार्थना की, फिर नारियल और सिन्दूर चढ़ाया और भजन गाकर निर्वाण की कामना की।
संगम के तट पर सामान्य अनुष्ठान के बाद, तीर्थयात्री समूहों में धुले और नए कपड़े पहनकर सीधे लगभग 200 गज की दूरी पर स्थित कपिल मुनि आश्रम मंदिर की ओर बढ़े, और अगरबत्ती, मिठाइयाँ अर्पित कीं।
सूत्रों ने कहा कि सबसे पहले नागा साधुओं ने तड़के पवित्र डुबकी लगाई। उसके बाद बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल सहित देश के अन्य हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई।
कुंभ मेले के बाद सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माने जाने वाले गंगासागर में तीर्थयात्रा के लिए नेपाल से भी श्रद्धालुओं को समूहों में आते देखा गया। माना जाता है कि मकर संक्रांति के संगम पर पवित्र डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति को वर्ष के सबसे शुभ समयों में से एक माना जाता है, जो सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में संक्रमण का प्रतीक है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पवित्र स्नान आठ जनवरी को शुरू हुआ और ‘शाही स्नान’ आज तड़के हुआ। मकर संक्रांति के लिए पवित्र स्नान आज भोर से शुरू हुआ और बुधवार सुबह तक जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि अब तक दिल की बीमारियों से तीन तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। एनडीआरएफ के जवानों ने कथित तौर पर सोमवार को घाट 3 के पास सागर के पानी से एक शव बरामद किया। ऐसा संदेह है कि इनकी मृत्यु बीमारी के कारण हुई होगी। व्यवस्थाओं की निगरानी के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर कई वरिष्ठ मंत्री यहां डेरा डाले हुए हैं। पूरे मेला मैदान को रंग-बिरंगे दीपों से रोशन किया गया है और कोई भी अप्रिय घटना न घटे इसके लिए हर जगह सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पर्याप्त पानी के पाउच की व्यवस्था की गई है और 14 मोबाइल ट्रीटमेंट यूनिटें तैनात की गई हैं। इसके अतिरिक्त बुजुर्ग और बाल तीर्थयात्रियों को क्यूआर-कोडेड रिस्टबैंड वितरित किए जा रहे हैं ताकि यदि वे लापता हो जाएं तो उनका पता लगाने में मदद मिल सके। श्रद्धालु क्यूआर कोड के माध्यम से मेले से संबंधित सभी जानकारी तक पहुंच सकते हैं। इसमें पीने के पानी, शौचालय, एटीएम, स्वास्थ्य सेवा केंद्र, सूचना केंद्र, बसें, लॉन्च शेड्यूल, पार्किंग विवरण और मार्ग दिशाओं के बारे में विवरण शामिल हैं।
संगम पर सुचारु रूप से स्नान करने और सुरक्षित घर वापसी के लिए भारत सेवाश्रम, रेड क्रॉस समेत सैकड़ों गैर सरकारी संगठन और अन्य स्वयंसेवी संगठन प्रशासन को मदद कर रहे हैं।
इसबीच उत्तराखंड के हरिद्वार से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक मकर संक्रांति पर्व पर मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया तथा भगवान की पूजा-अर्चना की। देश भर के विभिन्न प्रांतो से आए श्रद्धालुओं ने यहां भोर होते ही गंगा स्नान शुरू कर दिया था। कड़ाके की सर्दी के बीच श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आई।
हर की पौड़ी सहित विभिन्न घाटों पर आज श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। आज के दिन प्रयागराज में कुंभ का शाही स्नान भी है तथा जो लोग वहां किसी कारणवश स्नान करने नहीं जा पाए वे लोग हरिद्वार जाकर गंगा स्नान कर रहे हैं और पुण्य के भागी बन रहे हैं।
तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित का कहना है कि मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। आज के दिन स्नान दान करने से जहां सैकड़ो अश्वमेध यज्ञों का पुण्य मिलता है वहीं पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। आज के दिन खिचड़ी तिल गुड़ गरम वस्त्र आदि वस्तुओं का दान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के दिन सूर्य उत्तरायण हो गए हैं इसलिए इसे उत्तरायणी पर्व से भी जाना जाता है। आज कुंभ का शाही स्नान भी है अतः जो लोग प्रयागराज में स्नान करने से वंचित रह गए और जो गंगा नदी के आसपास रहते हैं, उनके लिए मकर संक्रांति पर हरिद्वार स्नान करना धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पुण्य दाई विकल्प है।
वहीं विभिन्न प्रांतो से श्रद्धालुओं का कहना है कि मकर संक्रांति पर्व के लिए वह विशेष रूप से हरिद्वार में स्नान करने आए हैं। आज के दिन स्नान करने से विशेष फल मिलता है और परिवार में सुख शांति बनी रहती है। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में जो लोग आज के दिन कुंभ का शाही स्नान नहीं कर पाए हरिद्वार में स्नान करने से उन्हें उतना ही फल मिलता है जितना प्रयागराज में स्नान करने से मिलता है। आज के दिन विभिन्न वस्तुओं का दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और पितरों को मोक्ष मिलता है। उन्होंने कहा कि भारी सर्दी के बावजूद उन्हें स्नान करने में काफी आनंद की अनुभूति हो रही है और जल भी साफ होने के कारण स्नान करने में उन्हें काफी शांति मिली है।
मंगलवार को सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश पर मनाए जाने वाले मकर संक्रांति और घुघती त्योहार पूरे उत्तराखंड में हर्षोल्लास से मनाया गया। गंगा, यमुना और राम गंगा नदियों में जहां देव डोलियों को स्नान कराया गया, वहीं श्रद्वालुओं ने भी आस्था की डुबकी लगाई। साथ ही, स्थान, स्थान पर खिचड़ी भोज के आयोजन भी किए।
समूचे राज्य में मकर संक्रांति पर प्रमुख नदियों में सुबह भीड़ तीन बजे से ही श्रद्वालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई थी। प्रयागराज में महाकुम्भ का आयोजन होने के कारण इस बार ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा तट पर पिछले वर्ष की अपेक्षा कम संख्या में गंगा स्नान को श्रद्वालु पहुंचे। हरिद्वार में ब्रह्म कुण्ड में स्नान के लिए पर्वतीय स्थानों से भक्त जन देव डोलियों को स्नान कराने के लिए वाहनों से लेकर आए। इस दौरान, मंदिरों के अलावा, स्थान-स्थान पर श्रद्वालुओं ने खिचड़ी वितरित की। जबकि अधिकांश घरों में भी खिचड़ी ही बनाई गई। कुमायूं क्षेत्र में इस दिन को घुघुतिया त्योहार के रूप में परंपरागत रूप से मनाया गया।
इस बीच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने नागरिकों को सूर्य की उपासना के पर्व मकर संक्रांति की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने शुभकामना संदेश में कहा है, “सूर्योपासना के पावन पर्व मकर संक्रांति की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रकृति पूजन का यह पर्व आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा, उल्लास लेकर आए, भगवान सूर्यदेव आपको आरोग्यता और समृद्धि प्रदान करें, यही कामना करता हूँ।”
उन्होंने सिलसिलेवार पोस्ट में लिखा है, “माघ बिहू, भोगी, उत्तरायण और पोंगल पर्व भारत की अमूल्य सांस्कृतिक विविधता के प्रतीक हैं। लोक संस्कृति से जुड़े इन सभी शुभ पर्वों की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। ये त्यौहार समाज में खुशियों का संचार करें, सभी नागरिकों के उत्तम स्वास्थ्य एवं कल्याण की कामना है।”
राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों और विभिन्न राजनेताओं ने भी नागरिकों को मकर संक्रांति और अन्य पर्वों की शुभकामनाएं दी हैं।
वहीं देश के दक्षिणी राज्य तेलंगाना में ‘फसल का त्योहार’ मकर संक्रांति मंगलवार को धार्मिक भावना और जीवंत उत्साह के साथ मनायी गयी। संक्रांति के उत्सव से पहले सोमवार को भोगी त्योहार मनाया गया। इस मौके पर लोगों ने विशेष प्रार्थनाएं की और अलाव जलाए। हिंदू परिवारों ने पारंपरिक पूजा की और त्योहार मनाने के लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाये। परंपरा को ध्यान में रखते हुए घरों के सामने के आँगन को रंगीन ‘मुग्गुलु’ (रंगोली) पैटर्न से सजाया गया।
युवाओं ने छतों और खुले स्थानों से पतंग उड़ाकर उत्सव में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे उत्सव में जीवंत आकर्षण जुड़ गया। इस अवसर पर सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड पर सोमवार से तीन दिवसीय पतंग और मिठाई महोत्सव का आयोजन किया है।
तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा और मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने लोगों को संक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए उनकी सुख-समृद्धि की कामना की।