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मणिपुर : लीमाखोंग में शांति बहाल करने में असम राइफल्स ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

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इंफाल। मणिपुर में पिछले दिनों कुकी-मैतेई समाज के बीच हुई हिंसक झड़पों को देखते हुए, बहुत सारे निर्दोष ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित हुआ है। उनके घर व दुकान उपद्रवियों व बदमाशों ने जला दिये। हिंसा प्रभावित ऐसे लोगों में अपने जीवन को लेकर भय का मनोविकार उत्पन्न हो गया है। इस उथल-पुथल परिस्थिति के बीच असम राइफल्स की ज्वालामुखी सेक्टर बटालियन ने सामान्य क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के अपने प्रयासों में लीमाखोंग के कुकी और मैतेई समाज के साथ बातचीत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

असम रायफल्स के सूत्रों ने गुरुवार को बताया है कि कुकी और मैतेई के बीच हुए आदिवासी संघर्षों के कारण क्षेत्र में उत्पन्न भय के माहौल में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय में काफी संख्या में लोग एकत्र हुए थे, जिनके बीच पैदा हुई दूरी को कम करने का प्रयास किया गया। लोगों के बीच एक बार फिर से विश्वास बहाल हो रहा है।

सूत्रों ने बताया है कि असम राइफल्स के कमांडेंट, अगरतला बटालियन ने नियत समय में स्थिति का आकलन किया और कुकी और मैतेई जनजाति से संबंधित जेसीओ और सीओ को प्रतिनियुक्त किया ताकि वे क्रमशः खारम गांव (कुकी गांव) और सेंगम चिरांग गांव (मैतेई गांव) के बुजुर्गों से बातचीत कर उन्हें मना सकें। ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया कि असम राइफल्स को अंतर-सामुदायिक सीमा पर तैनात किया जाएगा और इस क्षेत्र में ऐसी किसी भी हिंसक घटना को दरकिनार किया जाएगा।

असम राइफल्स के समर्पित प्रयासों के परिणामस्वरूप सभी ग्रामीणों (कुकी और मैतेई) को सुरक्षा की भावना के साथ अपने घरों में वापस जाने के लिए राजी किया गया और स्थिति को नियंत्रण और शांतिपूर्ण बनाया गया। असम रायफल्स के सूत्रों ने बताया है कि लोगों के बीच आपसी समझ को विकसित करने के लिए राज्य के अन्य हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है, ताकि लोगों के बीच विश्वास बहाली के कदम को तेज किया जा सके।

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