प्रदेश भाजपा की दो दिवसीय समीक्षा बैठक में हार के कई कारण उजागर
रांची, 01 दिसंबर (हि.स.)। प्रदेश भाजपा ने दो दिनों तक विधानसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा की। रविवार को समीक्षा बैठक के दौरान जो बातें निकल कर सामने आई हैं अब उसे आलाकमान को अवगत कराया जाएगा। तीन दिसंबर को दिल्ली में प्रदेश नेताओं संग बैठक होगी। यह बैठक कई मायनों में अहम होगी। इस बैठक में संगठन के आगे की रूपरेखा तय की जाएगी। साथ ही प्रदेश संगठन में बड़े फेरबदल की संभावना जताई जा रही है। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि झारखंड भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर संगठन मंत्री और जिलाध्यक्ष सहित कई जिलों के प्रभारियों को भी बदला जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि इस बार के चुनाव में भाजपा 21 सीट पर ही विजयी हुई। संताल में 18 सीटों में से 17 सीटें पर शिकस्त झेलनी पड़ी।
समीक्षा बैठक के दौरान कई नेताओं ने दो टूक कहा कि चुनाव में स्थानीय मुद्दों की अनदेखी की गई। बाहरी नेताओं को टिकट देना भी हार का कारण बना। वहीं, प्रमंडलीय प्रभारियों ने भी कोई कारगर कदम नहीं उठाया। टॉप लीडर तक स्थानीय समस्याओं को भी सही तरीके से नहीं पहुंचाया गया। बैठक में प्रमंडल स्तर के नेताओं की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए। वहीं, बूथ से जिला स्तर के संगठन, कई जिलाध्यक्षों और प्रभारियों पर भी सवाल खड़े किए गए।
कई नेताओं ने कहा कि प्रमंडल प्रभारियों की भी भूमिका संदिग्ध रही। नेताओं ने यह भी कहा कि जिन्हें टिकट नहीं मिला वे जुगाड़ से प्रभारी बन गए लेकिन किसी भी प्रमंडल में भाजपा उम्मीदवारों को आपेक्षित जीत नहीं मिली। भाजपा ने अपने संगठन के छह प्रमंडलों में कोल्हान के लिए आदित्य साहू, दक्षिणी छोटानागपुर के लिए गणेश मिश्र, पलामू के लिए विकास प्रीतम, धनबाद के लिए प्रदीप वर्मा, हजारीबाग के लिए मनोज सिंह और संताल के लिए बालमुकुंद सहाय को प्रभारी बनाया गया था।
समीक्षा बैठक में शामिल नेताओं ने कहा कि अब कठोर कदम उठाने की जरूरत है। इस पर चिंतन और मंथन करने की जरूरत है। प्रभारियों की ओर से चुनाव के दौरान सिर्फ खानापूर्ति की गई। वे एसी रूम तक ही सिमटे रहे। उन्होंने भ्रमण करने के अलावा कुछ भी नहीं किया। नेताओं ने कहा कि चुनाव के दौरान पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय का अभाव रहा। बागियों ने भी भाजपा को नुकसान पहुंचाया। साथ ही नेताओं ने यह भी मांग किया कि झारखंड में दलित और आदिवासी का कोई क्रांतिकारी नेता होना चाहिए, जो आदिवासी वोटों को एकजुट कर सके। बैठक में सदस्यता अभियान शुरू करने पर भी चर्चा की गई। प्रदेश नेताओं ने कहा कि सभी खामियों को दूर किया जाएगा। इससे जनता की मजबूत आवाज बन सकेंगे।
बैठक में राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र त्रिपाठी, प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र राय सहित जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी मौजूद थे।