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मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से की संथाल तीर्थ स्थलों के संरक्षण की मांग

रांची, 9 जून । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सोमवार को कांके रोड रांची स्थित उनके आवासीय कार्यालय में मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन के माध्यम से मरांङ बुरू को संरक्षित करने, प्रबंधन, निगरानी नियंत्रण एवं अनुश्रवण के लिए ग्राम सभा को जिम्मेवारी देने से संबंधित महत्वपूर्ण मांगों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया है कि राज्य सरकार उनकी मांगों पर विधिसम्मत यथोचित कार्रवाई करेगी।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) पीरटांड, गिरिडीह को युगों-युगों से हम संथाल समुदाय के लोग ईश्वर के रूप में पूजा करते आ रहें हैं। छोटानगपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, सर्वे भूमि अधिकार अभिलेख, कमीश्नरी कोर्ट, पटना हाई कोर्ट एवं प्रीवी कौन्सील कोर्ट से संथाल आदिवासियों को प्रथागत अधिकार प्राप्त है। अत: झारखंड सरकार से मांग है कि मरांङ बुरू को संथालों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित किया जाए।

प्रतिनिधिमंडल की ओर से झारखंड सरकार से यह भी मांग की गई है कि आदिवासियों के धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाया जाए। मरांङ बुरू, लुगू बुरू, अतु-ग्राम, जाहेर थान (सरना), मांझी थान, मसना, हड़गडी सहित धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए यह अधिनियम आवश्यक है।मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार की ओर से उनकी मांगों पर विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी।

इस प्रतिनिधिमंडल में मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के झारखंड, ओडिसा, बंगाल एवं छत्तीसगढ़ के सदस्य शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल की मुख्य मांगें

-झारखंड सरकार की ओर से आदिवासी धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए विशेष अधिनियम बनाने की मांग।

– मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) को आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में संरक्षित करने की मांग।

– मरांङ बुरू के संरक्षण, प्रबंधन, निगरानी नियंत्रण एवं अनुश्रवण की जिम्मेवारी ग्राम सभा को सौंपने की मांग।

– मरांङ बुरू में जैन समुदाय द्वारा वन भूमि पर अवैध ढंग से किए गए निर्माण को अतिक्रमण से मुक्त करने की मांग।

– राजकीय महोत्सव: मरांङ बुरू युग जाहेर, वाहा-बोंगा पूजा महोत्सव को राजकीय महोत्सव घोषित करने की मांग।

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