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मार्काे रुबियो बने अमेरिका के 72वें विदेश मंत्री

वाशिंगटन 21 जनवरी : वर्ष 2011 से फ्लोरिडा से सीनेटर मार्को रुबियो को मंगलवार को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने राष्ट्रपति ट्रंप की सरकार के विदेश मंत्री के रूप में शपथ दिलाई।

श्री रुबियो पहले संघीय अधिकारी हैं जिसे वेंस ने शपथ दिलाई।

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के पद के लिए नामित किया था, जो भारत समर्थक और चीन विरोधी माने जाते हैं, उन्हें सोमवार को सर्वसम्मति से इस पद के लिए चुन लिया गया। श्री रुबियो पहले अधिकारी हैं, जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में चुना गया है।

श्री मार्को रुबियो सहित सभी 99 सीनेटरों ने उनके पद की पुष्टि के लिए मतदान किया। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के ओहियो सीट से इस्तीफा देने के बाद, सीनेट में वर्तमान में एक पद खाली हो गया है।

श्री मार्को रुबियो, जो 2011 से सीनेट में फ्लोरिडा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, चीन के प्रति सख्त रुख रखते हैं और यही वजह है, कि चीन ने उनके ऊपर दो-दो बार प्रतिबंध लगाए हैं। उनका जन्म मियामी में क्यूबा के अप्रवासियों के घर हुआ था और वह लंबे समय से विदेशी मामलों में सक्रिय हैं।

श्री रुबियो ने पहले एक विधेयक पेश किया था, जिसमें भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सुरक्षा के मामले में अमेरिका का प्रमुख सहयोगी माना जाना था। जापान, इज़राइल, दक्षिण कोरिया और नाटो सदस्य अमेरिका के प्रमुख सहयोगी हैं।

उन्होंने भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की थी। इस विधेयक में पाकिस्तान को अमेरिकी सुरक्षा सहायता मिलने से रोकने की मांग की गई थी, अगर यह पाया गया कि वह भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करता है।

श्री रुबियो अमेरिका में विदेश मंत्री के रूप में सेवा करने वाले पहले लैटिनो हैं। सीनेट के नेताओं ने इस महत्वपूर्ण पद के लिए उनकी अच्छी योग्यता के लिए उनकी सराहना की।

सीनेट की विदेश संबंध समिति के प्रमुख सीनेटर जिम रिश ने श्री रुबियो की नियुक्ति का स्वागत किया और चीन, रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत और सक्रिय राजनयिक की आवश्यकता पर बल दिया।

श्री रुबियो भारत के समर्थक रहे हैं और उन्होंने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों की वकालत की है। सीनेटर चक ग्रासली ने उनकी ‘बुद्धिमत्ता’ और अमेरिकी विदेश नीति के गहन ज्ञान के लिए उनकी प्रशंसा की।

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