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मीरवाइज उमर ने कश्मीरी पंडितों की घाटी में सुरक्षित वापसी के लिए आईसीसी के गठन का प्रस्ताव रखा

नयी दिल्ली 01 फरवरी : हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष एवं कश्मीर के मुख्य धर्मगुरु मीरवाइज उमर फारूक ने घाटी में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी के लिए अंतर समुदाय समिति (आईसीसी) के गठन का प्रस्ताव रखा है।

मीरवाइज ने शनिवार को यहां आयोजित एक बैठक के दौरान सतीश महालदार के नेतृत्व में जेके पीस फॉर्म द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधिमंडल के समक्ष आईसीसी के गठन का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि समिति समुदायों के बीच की खाई को पाटने एवं कश्मीरी पंडितों की घाटी में सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेगी।

जेके पीस फॉर्म के एक बयान में कहा गया है कि मीरवाइज फारूक के नेतृत्व में आईसीसी कश्मीर के सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करेगी जिसका ध्यान कश्मीरी पंडितों की उनकी मातृभूमि कश्मीर में सुरक्षित वापसी को सुगम बनाने पर होगा।

बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि समिति विस्थापित कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए सरकारी सहायता जैसे उपायों पर भी विचार करेगी जिसमें समाज में उनके पुनः एकीकरण में सहायता के लिए समावेशी नामित कॉलोनियों का निर्माण शामिल है।

मीरवाइज फारूक ने फिर से पुष्टि की कि कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा एक मानवीय मुद्दा है और इसे सावधानी और तत्परता के साथ समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ‘कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा

है।’

उन्होंने कहा, ‘कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को गंभीरता से संबोधित करने की आवश्यकता है और यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे मैंने अपने उपदेशों में बार-बार उठाया है।’

मीरवाइज ने दशकों से कश्मीरी मुसलमानों और कश्मीरी पंडितों दोनों की साझा पीड़ा पर जोर दिया। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने 1989-90 में कश्मीरी पंडितों के दर्दनाक पलायन को स्वीकार किया जो एक ऐसा अध्याय है जो दोनों समुदायों को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को कश्मीर की मिश्रित संस्कृति से अवगत कराया जाना चाहिए।

बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली जिसमें कश्मीर के दोनों समुदायों के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण चर्चा हुई।

कश्मीरी पंडित प्रतिनिधिमंडल ने मीरवाइज फारूक को विश्वास बहाली के उपाय के रूप में इस पहल का नेतृत्व करने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित किया और उन्होंने इस लक्ष्य की दिशा में सक्रिय कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई।

बयान में कहा गया, ‘इस बात पर सहमति हुई कि यह सहयोगात्मक प्रयास जम्मू-कश्मीर के लिए उपचार, एकता और अधिक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।’

कश्मीरी पंडित प्रतिनिधिमंडल ने एक समुदाय के रूप में उनके द्वारा सामना की गई गहरी कठिनाइयों को व्यक्त किया और आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी कारण के बाहर निकाल दिया गया।

पंडित प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक नेता, विशेष रूप से मीरवाइज उमर फारूक पूरे क्षेत्र में अपने प्रभाव को देखते हुए इस पहल का नेतृत्व करने का नैतिक अधिकार रखते हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने हुर्रियत अध्यक्ष को याद दिलाया कि कश्मीर के आध्यात्मिक नेता के रूप में वह न केवल मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं बल्कि सभी अल्पसंख्यकों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं और उनका नेतृत्व क्षेत्र की शांति और सद्भाव को बहाल करने में महत्वपूर्ण है।

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