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मोदी ने रोहिणी में केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के भवन की आधारशिला रखी

नयी दिल्ली 05 जनवरी : स्वास्थ्य सेवा और पारंपरिक चिकित्सा को प्रोत्साहन देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी के रोहिणी में केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान की आधारशिला रखी और इसे “आयुर्वेद की अगली बड़ी छलांग” बताया।

प्रधानमंत्री के ऑनलाइन आयोजित किए गए समारोह में केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा को गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचाने पर जोर देते हुए कहा कि सरकार आयुष और आयुर्वेद जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को भी बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में आयुष प्रणाली का विस्तार 100 से अधिक देशों में हो चुका है।

श्री मोदी ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित पहला विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) संस्थान भारत में स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ सप्ताह पहले उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के दूसरे चरण का उद्घाटन किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत में दुनिया की स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती की राजधानी बनने की अपार संभावनाएं हैं।” उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब दुनिया “मेक इन इंडिया” के साथ-साथ “हील इन इंडिया” को भी मंत्र के रूप में अपनाएगी। उन्होंने कहा कि विदेशी नागरिकों को भारत में आयुष उपचार का लाभ उठाने में सुविधा प्रदान करने के लिए एक विशेष आयुष वीजा सुविधा शुरू की गई है और थोड़े समय में ही सैकड़ों विदेशी नागरिकों को इस सुविधा का लाभ मिला है।

श्री जाधव ने कहा कि यह सुविधा अनुसंधान और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाएगी, जिसका देश भर में लाखों लोगों के जीवन पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा।

रोहिणी स्थित केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तर-पश्चिम दिल्ली के सांसद योगेन्द्र चंदोलिया, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा तथा आयुष मंत्रालय और सीसीआरएएस के अधिकारी भी शामिल हुए।

लगभग 187 करोड़ रुपये के निवेश से 2.92 एकड़ में फैली इस नई सुविधा में 100 बिस्तरों वाला अनुसंधान अस्पताल होगा जो आयुर्वेद अनुसंधान को आगे बढ़ाने और समुदाय को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए होगा।

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