जीवित्पुत्रिका व्रत पर माताओं ने रखा उपवास
चतरा। संतान की चिरंजीवी और सुखद जीवन की कामना को लेकर माताओं ने आज जीवित्पुत्रिका व्रत का उपवास रखा। आज भोर में व्रती माताओं ने सरगही की और 24 घंटे का निर्जला उपवास शुरू किया। इसी दिन माताएं पूजा-अर्चना कर जीवित्पुत्रिका व्रत कथा का श्रवण करेंगी। कई स्थानों पर जितिया का अनुष्ठान भी हो रहा है।
चतरा के पंडित चेतन पांडेय ने कहा कि इस व्रत का महाभारत काल से भी जुड़ाव रहा है। कथा के अनुसार जब अश्वथामा ने पांडवों के सोते हुए सभी बेटों और अभिमन्यु के अजन्मे बेटे को मार दिया था उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के पोते को गर्भ में ही जीवित कर दिया। इसी वजह से अर्जुन के इस पोते का नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा। मान्यता के अनुसार यही कारण है कि माताएं अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं।
जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए उपवास शुरू करने से पहले सुबह ही कुछ खाया-पिया जा सकता है। सूर्योदय होने से पहले महिलाएं पानी, शर्बत व अन्य फल व मीठे भोज्य पदार्थ ले सकती हैं लेकिन इसके बाद कुछ भी खाने या पीने की मनाही रहती है। चतरा जिला मुख्यालय समेत पत्थलगडा, इटखोरी, कान्हाचट्टी, टण्डवा, सिमरिया, प्रतापपुर, हंटरगंज व अन्य प्रखंडों में भी जिउतिया व्रत को लेकर तैयारियां की गई है। व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह है।