सांसद दीपक प्रकाश ने मोटे अनाज के उत्पादन का मुद्दा राज्यसभा में उठाया
रांची/नई दिल्ली, 24 जुलाई । सांसद दीपक प्रकाश ने देश में मोटे अनाज (श्री अन्न) के उत्पादन से संबंधित सवालों के संबंध में केंद्र सरकार से संसद में जानकारी मांगी। राज्यसभा में उन्हें कृषि एवं कल्याण मंत्रालय ने जानकारी दी कि वर्ष 2022-23 के दौरान मिलेट्स (श्री अन्न) का अखिल भारतीय उत्पादन 171.49 लाख टन था। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने जवाब देते हुए बताया कि 171.49 लाख टन में से 39.90 लाख टन ज्वार, 111.66 लाख टन बाजरा, 15.97 लाख टन रागी और 3.97 लाख टन स्माल मिलेट्स (तृतीय अग्रिम अनुमान के अनुसार) का उत्पादन शामिल है।
सरकार की ओर से लगातार मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के पीछे क्या उद्देश्य है और लोगों की सेहत के लिए श्री अन्न की उपयोगिता के संबंध में भी दीपक प्रकाश ने जानकारी मांगी थी। इस पर कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि मिलेट्स (श्री अन्न) पारंपरिक रूप से देश के वर्षा सिंचित क्षेत्रों में उगाए जाते हैं। ये किसान अनुकूल फसलें हैं। इन्हें न्यूनतम कृषि आदानों, कम पानी की आवश्यकता होती है। ये सूखा सहिष्णु, प्रकाश असंवेदी, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीले होते हैं। प्रमुख अनाजों की तुलना में विविध कृषि जलवायु परिस्थितियों को सहन करने वाले होते हैं। मिलेट्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। अच्छी मात्रा में गैर-स्टार्च पॉलीसेकेराइड के साथ आहार फाइबर और कार्बोहाइड्रेट मिश्रित होते हैं। मिलेट्स में पॉलीफेनोल्स, फाइटेट्स, कैरोटीनॉयड, टोकोफेरोल्स आदि जैसे फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं, जिन्हें ‘न्यूट्रास्यूटिकल्स’ कहा जाता है।
इस प्रकार, मिलेट्स मधुमेह आदि जैसी जीवन शैली संबंधी विकारों से पीड़ित लोगों के लिए सबसे उपयुक्त अनाज है। इन न्यूट्रास्युटिकल घटकों के होने से, मिलेट्स में उत्कृष्ट एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) घोषित किया था। भारत सरकार ने आईवाईएम 2023 को मनाने और इसे जन-आंदोलन बनाने का निर्णय लिया है, ताकि भारतीय मिलेट्स, व्यंजनों, मूल्यवर्धित उत्पादों को विश्वस्तर पर स्वीकार किया जा सके। मिलेट्स को निरंतर बढ़ावा देने का उद्देश्य घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करना और अपने विशिष्ट गुणों के कारण देशभर में जलवायु लचीली फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना, उत्पादन, खपत और निर्यात आदि को बढ़ाना है।