मुर्मु ने रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय को प्रतिष्ठित ध्वज प्रदान किया
नयी दिल्ली 20 दिसम्बर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को सिकंदराबाद स्थित रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय को प्रतिष्ठित ध्वज प्रदान किया।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि भारत की बढ़ी हुई रक्षा प्रबंधन क्षमता कूटनीतिक और सैन्य साझेदारी को मजबूत करने तथा रक्षा निर्यात बढ़ाने में मदद करेगी। इससे भारत को वैश्विक सुरक्षा मंचों पर सक्रिय रुख बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि प्रौद्योगिकी में प्रगति का राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है। युद्ध की पारंपरिक परिभाषाओं और तरीकों को उभरती प्रौद्योगिकियों तथा नई रणनीतिक साझेदारियों द्वारा चुनौती दी जा रही है। भारत उभरती प्रौद्योगिकियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को उच्च प्राथमिकता दे रहा है और बढ़ी हुई दक्षता तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए भारतीय रक्षा प्रणालियों में उनका उपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा, “ हम एक समग्र दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिसमें अपने पारंपरिक बलों को उन्नत करना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन, साइबर युद्ध क्षमताओं और अंतरिक्ष रक्षा प्रौद्योगिकियों सहित अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाना शामिल है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सशस्त्र बलों के कर्मियों को नवीनतम तकनीकी विकास के साथ-साथ बदलती परिचालन गतिशीलता के साथ खुद को अपडेट रखने की आवश्यकता है। ग्रे जोन युद्ध और हाइब्रिड युद्ध के इस युग में, कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट जैसे संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सभी से समय के साथ निरंतर विकसित होने और तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने का आग्रह किया।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि बहुपक्षीय आर्थिक और सैन्य ढांचे तथा जुड़ाव के माध्यम से, क्षेत्रीय और वैश्विक रक्षा चर्चाओं में भारत का प्रभाव काफी बढ़ गया है। वैश्विक स्तर पर भारत की रक्षा क्षमताएं इसकी ताकत और दूरदर्शी दृष्टि दोनों को दर्शाती हैं। आत्मनिर्भरता, तकनीकी उन्नति और रणनीतिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करके, भारत न केवल अपनी सीमाओं को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता में भी योगदान दे रहा है।