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मुर्मु ने उच्चतम न्यायालय के तीन प्रकाशनों का किया विमोचन

नयी दिल्ली 05 नवंबर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में उच्चतम न्यायालय के तीन प्रकाशनों का विमोचन किया।

राष्ट्रपति सचिवालय के अनुसार इन प्रकाशनों में ‘राष्ट्र के लिए न्याय: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्षों पर कुछ विचार’, ‘भारत में जेल: जेल मैनुअल का मानचित्रण और सुधार एवं भीड़ कम करने के उपाय’ ,और ‘विधि विद्यालयों के माध्यम से कानूनी सहायता: भारत में कानूनी सहायता प्रकोष्ठों के कामकाज पर एक रिपोर्ट’ शामिल हैं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक ऐसा न्यायशास्त्र विकसित किया है जो भारतीय लोकाचार और वास्तविकताओं में निहित है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि ‘जस्टिस फॉर द नेशन’ नामक पुस्तक में उच्चतम न्यायालय की 75 वर्षों की यात्रा के मुख्य बिंदुओं को दर्शाया गया है। इसमें लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उच्चतम न्यायालय के प्रभाव का भी वर्णन किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय वितरण प्रणाली को न्यायसंगत और निष्पक्ष समाज के रूप में हमारी आगे की यात्रा को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि कानूनी सहायता प्रकोष्ठों के कामकाज पर रिपोर्ट देश के विधि विद्यालयों में संचालित विधि सहायता केंद्रों को समर्पित है। उन्होंने कहा कि ऐसे विधि सहायता केंद्र युवाओं को समग्र कानूनी शिक्षा प्रदान करने और उन्हें समाज के कमजोर वर्गों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाने में योगदान देते हैं।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि विचाराधीन कैदियों की स्थिति उनके लिए हमेशा से चिंता का विषय रही है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि जेल प्रणाली पर रिपोर्ट विचाराधीन कैदियों की संख्या कम करने में न्यायपालिका की भूमिका को समझने का प्रयास करती है।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि ये प्रकाशन निःशुल्क कानूनी सहायता और जेल सुधारों के उद्देश्यों को साकार करने में मदद करेंगे, साथ ही लोगों को गणतंत्र के रूप में देश की यात्रा में उच्चतम न्यायालय द्वारा निभाई गई असाधारण भूमिका के बारे में शिक्षित करेंगे। उन्होंने उच्चतम न्यायालय को महान संस्था बनाने के लिए बेंच और बार के भूतपूर्व तथा वर्तमान सदस्यों की सराहना की।

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