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राजग नेताओं ने ‘एक देश एक चुनाव’ के क्रियान्वयन पर किया विचार विमर्श

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के संस्थापक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सौवीं जयंती के अवसर पर राजग के प्रमुख नेताओं की बुधवार को यहां एक बैठक हुई जिसमें ‘एक देश एक चुनाव’ के क्रियान्वयन के बारे में विचार विमर्श किया गया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हुई इस बैठक में राजग नेताओं ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देते हुए श्री वाजपेयी की मजबूत नेतृत्व क्षमता और भारत में पहली पूर्णकालिक गठबंधन सरकार के सफल कार्यकाल को याद किया।
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह, अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, जनता दल (सेक्युलर) के नेता एवं केंद्रीय मंत्री मंत्री एच.डी.कुमार स्वामी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एस) के नेता जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा, भारत धर्मजन सेना के प्रमुख तुषार वेलापल्ली मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार राजग के नेताओं ने देश की राजनीतिक माहौल एवं सामयिक मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में ‘सुशासन’ और योजनाओं के जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन के बारे में विचार-विमर्श किया गया। सुशासन अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल का एक अहम हिस्सा था। राजग के नेताओं ने इस आदर्श को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।
सूत्रों के अनुसार बैठक में यह भी विचार किया गया कि श्री वाजपेयी की जन्मशती पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए। वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा में भारत की पहली पूर्णकालिक गठबंधन सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए थे। भाजपा और राजग उनके योगदान को आज भी अपनी प्रेरणा के स्त्रोत मानते हैं।
सूत्रों ने बताया कि इसी क्रम में राजग के नेताओं ने आगामी चुनावों तथा ‘एक देश-एक चुनाव’ के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया। गठबंधन के सभी सदस्य इस प्रस्ताव के समर्थन में हैं और इसे आगामी चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं। एक देश-एक चुनाव पर संविधान का 129वां संशोधन विधेयक और केन्द्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक संसद में पेश किया जा चुका है और दोनों विधेयकों को विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सौंपा गया है। आगामी आठ जनवरी को जेपीसी की बैठक होगी जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होगी।

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