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विदेश सचिव ने संसदीय समिति को बताया, संघर्ष में पाक की ओर से नहीं मिले ‘परमाणु संकेत’

नई दिल्ली, 19 मई । विदेश मामलों से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के समक्ष सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव पारंपरिक दायरे में ही रहा और पाकिस्तान की ओर से कोई परमाणु संकेत (न्यूक्लियर सिग्नलिंग) नहीं दिया गया।

सूत्रों के अनुसार, मिस्री ने समिति को बताया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय पूरी तरह से द्विपक्षीय था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी। उनका यह जवाब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान के संदर्भ में भी था।

बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की। इसमें रविशंकर प्रसाद, अभिषेक बनर्जी, राजीव शुक्ला, दीपेन्द्र हुड्डा, असदुद्दीन ओवैसी, अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल सहित अन्य शामिल हुए। यह बैठक पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में किए गए ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद भारत-पाक के बीच बढ़े तनाव के संदर्भ में बुलाई गई थी।

बैठक में सदस्यों ने विदेश सचिव से कई सवाल किए। साथ ही भारत को हुए नुकसान पर भी सवाल हुए। हालांकि विदेश सचिव ने कुछ प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के कथन पर उठे सवालों पर मिस्री ने समिति को बताया कि जयशंकर के बयान को ‘गलत’ अर्थ में नहीं देखना चाहिए।

कुछ सदस्यों ने यह भी पूछा कि क्या पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान चीनी सैन्य प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया। इस पर विदेश सचिव ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस को कुशलता से निशाना बनाया।

बैठक के दौरान समिति के सभी सदस्यों ने सोशल मीडिया पर मिस्री की आलोचना पर एकमत होकर विरोध जताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की निंदा करते हुए विदेश सचिव की पेशेवर कार्यशैली की सराहना की।

उल्लेखनीय है कि 6 मई की रात को शुरु होने के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान ने सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने का आपसी समझौता किया था।

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