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श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा-भारत कोई धर्मशाला नहीं

नई दिल्ली, 19 मई । शरणार्थियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है। श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थी की हिरासत के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम दुनिया भर से आए शरणार्थियों को शरण क्यों दें, आप दूसरे देश चले जाइए।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट आज मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें याचिकाकर्ता को यूएपीए मामले में 7 साल की सजा पूरी होते ही तुरंत भारत छोड़ने का आदेश दिया गया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह श्रीलंकाई तमिल है, जो भारत में वीजा पर आया था। उसे अपने देश में जान का खतरा है, इसलिए वह स्वदेश नहीं जाना चाहता। कोर्ट ने कहा कि किसी दूसरे देश में चले जाइए, भारत में आपके बसने का क्या अधिकार है। तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वो एक शरणार्थी है। तब कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के मुताबिक भारत में बसने का मौलिक अधिकार केवल नागरिकों को ही हासिल है।

याचिकाकर्ता को 2015 में दो दूसरे लोगों के साथ लिट्टे कार्यकर्ता होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। 2018 में याचिकाकर्ता यूएपीए के मामले में ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दस साल की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने उसकी सजा घटाकर सात साल कर दी थी और कहा था कि सात साल की सजा पूरी होते ही उसे भारत छोड़ना होगा और भारत छोड़ने तक उसे शरणार्थी शिविर में रहना होगा। हाई कोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

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