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अनुसूचित जनजातियों की महिला जनप्रतिनिधियों को सशक्त बनाना हमारा उद्देश्य : ओम बिरला

  • लोकतंत्र हमारे विचारों और कार्यप्रणाली में है, इसीलिए भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देश के विकास में महिलाओं ने योगदान को अहम बताते हुए कहा कि लोकतंत्र हमारी विरासत है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों की महिला जनप्रतिनिधियों को सशक्त बनाना है। वे साेमवार काे संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित ‘पंचायत से संसद 2.0’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि आजादी की लड़ाई की पहली शुरुआत 1857 में रानी झांसी ने की थी। इस आजादी के आंदोलन के संघर्ष में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक, राजनीतिक, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष सभी क्षेत्रों में महिलाओं की अहम भूमिका रही है।

उन्होंने कहा कि हमारे देश के लोकतंत्र की सबसे मजबूत संस्था पंचायत है। इसमें महिलाओं के नेतृत्व से जनजातीय क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक विकास, महिलाओं को स्वावलंबी बनाना, कुटीर उद्योग को आगे बढ़ाने का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था खास है। दुनिया के अंदर भारत ही एकमात्र देश है जहां पंचायत में भी लोकतंत्र है और देश में सबसे बड़ी संस्था के रूप में संसद में भी लोकतंत्र है। इसलिए हम कहते हैं कि लोकतंत्र हमारी विरासत है। लोकतंत्र हमारी प्राचीन सभ्यता है। लोकतंत्र हमारे विचारों और कार्यप्रणाली में है। इसीलिए भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की विरासत और इतिहास इस बात का प्रमाण है कि इसमें महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है।

भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में ओम बिरला ने भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए कहा कि 150 वर्ष पूर्व बिरसा मुंडा ने देश की आजादी और जनजाति क्षेत्र के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने जंगल और जमीन, जनजातियों के सम्मान के लिए संघर्ष किया था। बिरसा मुंडा का जीवन हमें प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजातियों की महिला जनप्रतिनिधियों को सशक्त बनाना हमारा उद्देश्य है।

इस मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर, 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की अनुसूचित जनजातियों की पांच सौ से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि उपस्थित रहीं।

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