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पलामू: टीएसपीसी उग्रवादियों ने चिपकाया पोस्टर, पुलिस ने किया जब्त

पलामू। लगातार कमजोर हो रहे प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी) अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास कर रहे हैं। पलामू जिले के मनातू थाना क्षेत्र में पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद जिले के पांडू प्रखंड कार्यालय की दीवार पर पोस्टर चिपका दिया। शनिवार सुबह पोस्टर चिपका हुआ देखा गया। सूचना मिलने पर पांडू पुलिस मौके पर पहुंची और पोस्टर को जब्त कर लिया। छानबीन शुरू कर दी है।

पोस्टर झारखंड बिहार-स्पेशल कमिटी टीएसपीसी की ओर से लगाया गया है।

शनिवार सुबह पांडू प्रखंड से अंचल कार्यालय की मुख्य दीवार पर टीएसपीसी उग्रवादियों का पोस्टर चिपका हुआ देखा गया स्थानीय लोगों ने जब देखा कि इसकी सूचना पुलिस को दी। आनन फानन में पुलिस मौके पर पहुंची और पोस्टर को हटवा दिया। यहां बता दे की पांडू प्रखंड से अंचल कार्यालय मुख्य बाजार से एकदम सटा हुआ है । उग्रवादियों की उपस्थिति पोस्टर के माध्यम से होने से लोगों में दहशत है। पोस्टर के माध्यम से उग्रवादियों ने बीड़ी पत्ता ठेकेदार और मुंशी दलाल को होशियार किया है। इन दिनों बड़े पैमाने पर बीड़ी पत्ता की तुडवाई हो रही है। बीड़ी पत्ता ठीकेदार से उग्रवादी बढ़िया लेवी वसूलते हैं।

क्या लिखा है पोस्टर में

-बीड़ी पत्ता ठीकेदार-मुंशी, दलाल होशियार(टीएसपीसी) है तैयार।

-(भाकपा) माओवाद के नाम पर, लेवी लेने और देने वालों को जन अदालत में सजा दो।

-पुलिस और जंगल सिपाहियों के खिलाफ, बीड़ी पत्ता मजदूर एक हो।

-बीड़ी पत्ता मजदूरों को उचित मजदूरी, भुगतान करें।

-बीड़ी पत्ता मजदूरों को चोट-घाव लू लगने पर, सुई-दवा का समूचित व्यवस्था देना होगा।

-बीड़ी पत्ता मजदूरों को काम के दौरान मौत होने पर परिजनों को उचित मुआवजा देना होगा।

-बीड़ी पत्ता मजदूरों को टेन्ट, लाईट-बत्ती का व्यवस्था करना होगा।

-बीड़ी पत्ता मजदूरों को धोती-कुर्ता, साड़ी, साया, लूंगी, गमछा, गंजी, जूता, चप्पल देना होगा।

-बीड़ी पत्ता मजदूरों को नास्ता, खाना, सत्तू, पानी देना होगा।

-मजदूरों की मजदूरी प्रतिदिन भूगतान करना होगा।

-बीड़ी पत्ता मजदूरों का बकाया मजदूरी रहने पर एक पत्ता तक खलीहान से नहीं उठाना है।

-जल, जंगल, जमीन हमारा है, पर्यावरण को बचाना है।

-पुलिस और जंगल सिपाही तथा अफीम तस्कर के बहकावे में, पड़कर गरीब जनता पोस्ता खेती करना बंद करें!

-चाहे हमें कोई नक्सल कहे, चाहे कहे उग्रवादी, कहने वालों को कहने दो, चाहते हैं हम आजादी।

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