HindiInternationalNationalNewsPolitics

भारत से इजरायल को हथियार आपूर्ति रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नयी दिल्ली, 04 सितंबर : भारत से इजरायल को हथियार आपूर्ति रोकने की मांग को लेकर पूर्व आईएफएस अधिकारियों समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

अवकाश प्राप्त आईएफएस अधिकारी अशोक कुमार शर्मा के नेतृत्व में अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से याचिकाकर्ताओं ने हाल ही में एक रिट याचिका दायर की है।इस याचिका पर शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह गाजा में युद्ध के दौरान इजरायल को सैन्य हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के मौजूदा लाइसेंस रद्द करे। याचिका में दावा किया गया है लाइसेंस की यह अनुमति कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संविधान का उल्लंघन है।

यह याचिका श्री शर्मा के नेतृत्व में मीना गुप्ता, देब मुखर्जी, अचिन वानाइक, ज्यां ड्रेज़, थोडुर मदाबुसी कृष्णा, हर्ष मंदर, निखिल डे और अन्य ने संयुक्त रूप से दायर की गई है।

याचिकाकर्ताओं ने हाल ही में 26 जनवरी 2024 को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें नरसंहार के अपराध की रोकथाम और दंड पर परंपरा के तहत दायित्वों के गाजा पट्टी में उल्लंघन के लिए इजरायल के खिलाफ अंतरिम उपाय करने का आदेश दिया गया था। अंतरिम उपायों में इजरायल द्वारा फिलिस्तीनी लोगों पर किए जा रहे सभी हत्याओं और विनाश को तत्काल सैन्य रोक लगाना शामिल था।

याचिका में दावा किया गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम मुनिशन इंडिया के माध्यम से इजरायल को हथियार आपूर्ति करने और उसी उद्देश्य के लिए दूसरों को लाइसेंस देने में केंद्र सरकार ने स्थिति की पूरी जानकारी के साथ अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों की कथित तौर पर अनदेखी की है।

हथियारों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों में मेसर्स प्रीमियर एक्सप्लोसिव और अडानी डिफेंस एंड एरोपेस लिमिटेड जैसी निजी फर्में शामिल थीं।

याचिका में बताया गया कि जुलाई, 2024 में आईसीजे ने उल्लेख किया कि इजरायल द्वारा फिलिस्तीनी लोगों पर असंगत हिंसा के उपयोग के माध्यम से एक कब्ज़ा करने वाली शक्ति के रूप में अपनी स्थिति का निरंतर दुरुपयोग, अंतर्राष्ट्रीय कानून के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और कब्जे वाले क्षेत्र में इजरायल की उपस्थिति को गैरकानूनी बनाता है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि हथियारों की निरंतर आपूर्ति संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के साथ 51(सी) के तहत अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *