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विद्या अर्जन का सबसे बड़ा साधन अभ्यास : ब्रह्माजी राव

रांची, 7 जून। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के मंत्री ब्रह्माजी राव ने कहा कि विद्या अथवा ज्ञान अर्जन के कई उपक्रम है, जिसमें सबसे बड़ा साधन है अभ्यास। पुस्तक में पढ़ना या भाषण, बौद्धिक सुनने से तात्कालिक ज्ञान की प्राप्ति होती है लेकिन आजीवन जीवन में आत्मसात करने के लिए सतत अभ्यास जरूरी है।

ब्रह्माजी राव बुधवार को आचार्यों के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। विद्या विकास समिति, झारखंड के तत्वावधान में नवीन आचार्य, स्थायित्व आचार्य एवं नवीन प्रधानाचार्यों का बीस दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, कुदलुम 19 मई से चल रहा था।

विद्या विकास समिति, झारखंड के प्रदेश मंत्री रामअवतार नारसरिया ने कहा कि भारतीय परंपरा में आचार्य या शिक्षक कभी आर्थिक मूल्य को महत्व नहीं दिया, बल्कि जीवन मूल्य ही उनके लिए सर्वोपरि था। उन्होंने आचार्य चाणक्य से लेकर कई अन्य गुरुओं का उदाहरण भी शिक्षार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किये।

प्रशिक्षण वर्ग का वृत समिति के सचिव अजय कुमार तिवारी ने प्रस्तुत किया। अतिथि परिचय प्रवासी कार्यकर्ता ब्रेन टूडू ने कराया। वर्ग में कुल 414 प्रतिभागी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। धन्यवाद ज्ञापन विभाग निरीक्षक फणीन्द्र नाथ ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार

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