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प्रधानमंत्री ने आकांक्षी ब्लॉकों के लिए ‘संकल्प सप्ताह’ कार्यक्रम का किया शुभारंभ

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भारत मंडपम में देश में आकांक्षी ब्लॉकों के लिए ‘संकल्प सप्ताह’ नामक एक अद्वितीय सप्ताह भर का कार्यक्रम शुरू किया। उन्होंने एस्पिरेशनल ब्लॉक्स प्रोग्राम पोर्टल भी लॉन्च किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत के शीर्ष 10 कार्यक्रमों की किसी भी सूची में आकांक्षी जिला कार्यक्रम स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा। आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने देश के 112 जिलों में 25 करोड़ से अधिक लोगों का जीवन बदल दिया है। कार्यक्रम के लिए वैश्विक प्रशंसा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम का आधार बनेगी। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि एस्पिरेशनल ब्लॉक कार्यक्रम न केवल इसलिए बड़ी सफलता होगी क्योंकि यह योजना अभूतपूर्व है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि इसके लिए काम करने वाले लोग विलक्षण हैं।

कार्यक्रम में 3 ब्लॉक लेवल अधिकारियों से बातचीत का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जमीनी स्तर पर काम करने वालों का मनोबल देखने के बाद उनका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया है। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि वह जमीनी स्तर के अधिकारियों के साथ उनकी टीम के सदस्य के रूप में काम करना चाहते हैं और विश्वास जताया कि कार्यक्रम के लक्ष्यों को समय से पहले हासिल कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा, “आकांक्षी जिला कार्यक्रम का प्रगति चार्ट मेरे लिए प्रेरणा बन गया।”

आकांक्षी जिला कार्यक्रम के 5 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के तीसरे पक्ष के मूल्यांकन पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की सरल रणनीति का उल्लेख करते हुए कहा कि ये शासन के चुनौतीपूर्ण कार्यों को पूरा करने के सबक हैं। समग्र विकास के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सभी हिस्सों और क्षेत्रों का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “सर्वसमावेशी विकास का अभाव, सभी को छूना, सभी को लाभ पहुंचाना संख्यात्मक विकास तो दिखा सकता है, लेकिन बुनियादी विकास नहीं होता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम हर जमीनी स्तर के पैरामीटर को कवर करते हुए आगे बढ़ें।”

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित विभागों के सचिवों से दो नई दिशाओं, हर राज्य का तेजी से विकास और पिछड़े जिलों की मदद पर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे देश में ऐसे 100 ब्लॉकों की पहचान करने को कहा जो उनके संबंधित विभागों में पिछड़ रहे हैं और स्थितियों में सुधार लाने की दिशा में काम करें। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब 100 चिह्नित ब्लॉक देश के औसत से ऊपर चले जाएंगे तो विकास के सभी मानक बदल जाएंगे। मोदी ने सुझाव दिया कि केंद्र के सभी विभाग उन ब्लॉकों के विकास पर जोर दें जिनमें सुधार की गुंजाइश है। राज्य सरकारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने 100 सबसे पिछड़े गांवों की पहचान करने और उन्हें सुधारने के लिए एक मॉडल बनाने का सुझाव दिया, जिसे अगले 1000 गांवों को विकसित करने के लिए दोहराया जा सकता है।

वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रण का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित होने का मतलब विकसित महानगर और पिछड़े गांव नहीं हैं। उन्होंने कहा, ”हम उस मॉडल का पालन नहीं करते हैं, हम 140 करोड़ लोगों के साथ चलना चाहते हैं।” उन्होंने आकांक्षी जिला कार्यक्रम के दौरान जिलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का उल्लेख किया और गुजरात के कच्छ जिले का उदाहरण दिया, जिसे कभी अधिकारियों के लिए दंडात्मक पोस्टिंग का स्थान माना जाता था, लेकिन अब तैनात अधिकारियों के समर्पण और परिश्रम से यह सबसे सम्मानजनक स्थान बन गया है। उन्होंने देश के आकांक्षी जिलों में हुए विकास के लिए युवा अधिकारियों को श्रेय दिया। आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के लिए, प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को ब्लॉक स्तर पर सफल होने वाले युवा अधिकारियों को बढ़ावा देकर प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री ने सरकार के बजट के सिर्फ आउटपुट ओरिएंटेशन से परिणाम में बदलाव के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि इससे गुणात्मक परिवर्तन आया है। शासन के अपने व्यापक अनुभव के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बजट परिवर्तन का एकमात्र कारक नहीं है। उन्होंने बिना बजट के विकास के आधार के रूप में संसाधनों के अधिकतम उपयोग और अभिसरण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि योजनाओं के अभिसरण और संपूरकता का लाभ उठाया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम में ब्लॉक पंचायतों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। जब हर ग्राम पंचायत काम तेजी से करेगी तो ही हर ब्लॉक का विकास तेजी से होगा। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम टीम भारत की सफलता का प्रतीक है। ये सबका प्रयास की भावना का प्रतीक है। ये कार्यक्रम भविष्य के भारत के लिए भी अहम है। इसमें संकल्प से सिद्धि का प्रतिबिंब है।

प्रधानमंत्री ने सरकार पर निर्भरता की मानसिकता से बाहर आने की आवश्यकता पर बल दिया और महान कार्यों को पूरा करने के लिए समाज की ताकत पर प्रकाश डाला। ‘जनभागीदारी’ की आवश्यकता के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने हर क्षेत्र में एक नेता की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने ‘संकल्प सप्ताह’ कार्यक्रम में विकसित की जा रही टीम भावना के पहलू पर प्रकाश डाला, जिससे नेताओं और जनभागीदारी के लिए नए विचारों का उदय होगा। उन्होंने प्राकृतिक आपदा के दौरान समाज के एक-दूसरे की मदद के लिए एकजुट होने का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने लोगों की भागीदारी की भावना को प्रेरित करने के लिए ब्लॉक स्तर पर सामूहिक रूप से काम करने का भी जिक्र किया और कुपोषण को खत्म करने के लिए क्षेत्रीय संस्थानों की वर्षगांठ मनाने और ऐसे अवसरों पर स्कूली बच्चों को भोजन वितरित करने का उदाहरण दिया। मोदी ने जोर देकर कहा, “जनभागीदारी या लोगों की भागीदारी में समस्याओं का समाधान खोजने की जबरदस्त क्षमता है।” उन्होंने कहा कि ‘संकल्प सप्ताह’ के दौरान सहकर्मियों के साथ एक सप्ताह तक बैठने से उन्हें एक-दूसरे की ताकत और जरूरतों के बारे में पता चलेगा और टीम भावना में सुधार होगा।

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