राज्य के 74 केंद्रों पर हुए जन शिकायत समाधान कार्यक्रम, 6396 लोगों की शिकायतों का हुआ समाधान
रांची, 10 सितंबर । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर डीजीपी अनुराग गुप्ता के नेतृत्व में जन शिकायत समाधान कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार को हुई। राज्य के 21 जिले के 74 केंद्रों पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इनमें कुल 6396 लोगों की समस्या सुनकर झारखंड पुलिस ने उसका समाधान किया। इस कार्यक्रम की मॉनिटरिंग के लिए राज्य के 21 जिले में आईजी और डीआईजी रैंक के अधिकारी को प्रतिनियुक्त किया गया था। सबसे अधिक गिरिडीह जिले में 1100 लोगों की शिकायत सुनी गई और सबसे कम देवघर में सिर्फ 38 लोगों की शिकायत सुनी गयी।
किस जिले में कितने लोगों ने की शिकायत
रांची में 824, खूंटी में 145, सिमडेगा में 79, लोहरदगा में 123, गुमला में 223, रामगढ़ में 184, हजारीबाग में 392, चतरा में 149, कोडरमा में 104, गिरिडीह में 1100, बोकारो में 205,धनबाद में 686, लातेहार में 283, पलामू में 335, गढ़वा में 418, दुमका में 374, जामताड़ा में 162, पाकुड में 86, साहेबगंज में 342, देवघर में 38, गोड्डा में 144 कुल 6396 शिकायत आयी।
इन मुद्दों पर पुलिस लोगों की समस्या सुनकर करेगी समाधान
– क्षेत्र से गुमशुदा बच्चों के संबंध में जानकारी प्राप्त करना और मामला दर्ज करना।
– क्षेत्र में संचालित विभिन्न संस्थाओं में महिलाओं और छात्रों के सुरक्षा के संबंध में जानकारी को प्राप्त करना।
– आम जनता को विक्टिम कंपनसेशन स्कीम के बारे में बताना।
– नये आपराधिक कानून और जीरो एफआईआर के बारे में जानकारी देना।
– आम जनता को डायल 112 के बारे में बताना।
– आम जनता को साइबर ठगी होने पर 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराने के बारे में बताना।
– कमजोर वर्ग के नागरिकों के लिए घटनाओं की जांच पूर्ण करने और ऐसे संभावित घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना।
– क्षेत्र में होने वाले अपराध, अपराधियों की सूचना, साइबर अपराध की घटना और अवैध रूप से नागरिकों से डिपोजिट प्राप्त करने वाली संस्था चिटफंड की जानकारी प्राप्त करना।
– क्षेत्र में सामाजिक मुद्दों के संबंध में जानकारी प्राप्त करना, जिससे भविष्य में विधि व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
– पुलिस थाना और संबंधित कर्मी होमगार्ड व चौकीदार का नागरिकों के साथ व्यवहार और शिकायतों पर उनके रिस्पॉन्स के संबंध में जानकारी प्राप्त करना।
– नये कोई विशेष मामले जो उस समय संज्ञान में लाये जायेंगे।
– ऐसे क्षेत्र जहां मानव तस्करी की घटना घटती है, वहां पर विशेष रूप से मानव तस्करी के पीड़ित के बारे में जानकारी प्राप्त करना और मानव तस्करी में संलिप्त अपराधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करना।
– ऐसे क्षेत्र जहां पर डायन प्रथा को लेकर अपराध होते हैं, वहां पर विशेष रूप से डायन से संबंधित अपराध के पीड़ित को आवश्यक सहायता देना और दोषी व्यक्तियों पर कार्रवाई करना।
– ऐसे क्षेत्र जहां पर अफीम की खेती होती है, वहां की जानकारी प्राप्त करेंगे।
– ऐसे क्षेत्र जहां पर ब्राउन शुगर की खपत हो रही है, उसकी जानकारी प्राप्त करना और इसमें संलिप्त व्यक्ति की जानकारी जुटाना।
– ऐसे क्षेत्र (विशेष कर शहरी क्षेत्र) जहां रात में अड्डाबाजी आदि होती है, उसे चिन्हित करने का प्रयास करेंगे और जानकारी प्राप्त करेंगे की अड्डाबाजी हो रही है तो किसके द्वारा हो रही है और उसको कैसे रोका जाये।
– डीएसपी या उसके ऊपर स्तर के पदाधिकारी विशेष रूप से उन शिकायतों पर भी ध्यान देंगे, जहां पर अनुसंधानकर्ता ने किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने व किसी दोषी व्यक्ति को बचाने के लिए गलत अनुसंधान किया हो. ऐसे मामलों में सुनिश्चित करेंगे कि पुनः जांच हो और बाद में न्याय हो सके।
– संबंधित क्षेत्र में सुरक्षा उपाय यथा सीसीटीवी का लगाना, नागरिक सुरक्षा समिति का गठन के लिए प्रेरित करना।
ये आईजी-डीआईजी किये गये थे प्रतिनियुक्त
रांची में आईजी मनोज कौशिक, खूंटी में आईजी प्रभात कुमार, सिमडेगा में आईजी असीम विक्रांत मिंज, गुमला में आईजी अखिलेश झा, हजारीबाग में आईजी पंकज कंबोज,बोकारो में आईजी माइकल राज एस, पलामू में आईजी नरेंद्र सिंह, लातेहार में आईजी राजकुमार लकड़ा, रामगढ़ में आईजी एवी होमकर, देवघर में आईजी ए विजयालक्ष्मी, साहिबगंज में आईजी क्रांति गड़देशी, गिरिडीह में डीआईजी सुनील भास्कर, धनबाद में डीआईजी सुरेंद्र झा, कोडरमा में डीआईजी मयूर पटेल कन्हैयालाल, लोहरदगा में डीआईजी अनूप बिरथरे, चतरा में डीआईजी कार्तिक एस, गढ़वा में डीआईजी वाईएस रमेश, दुमका में डीआईजी इंद्रजीत महथा, गोड्डा में डीआईजी शैलेंद्र वर्नवाल, पाकुड में डीआईजी संजीव कुमार और जामताड़ा में आईजी शैलेंद्र सिन्हा।