भाई-बहन के प्यार का पर्व है रक्षा बंधन
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रक्षाबंधन का पर्व भाई बहन के प्रेम के प्रतिक है। रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनसे रक्षा का वचन मांगती है। यह पर्व भाई बहन के मजबूत संबंधों को दर्शाता है। साथ ही यह त्योहार भाई-बहन के बीच प्यार और विश्वास को भी मजबूत करता है। रक्षाबंधन शब्द संस्कृत भाषा के ‘रक्षा’ और ‘बंधन’ शब्दों से आया है, जिसका मतलब होता है ‘सुरक्षा की बंधने’। इस त्योहार में बहन अपने भाई की लाख कोशिशों से उसकी सुरक्षा की बंधने का प्रतीक बांधती है, जिससे उनके बीच का प्रेम और आपसी सम्मान मजबूत होता है।
रक्षाबंधन का पर्व भद्राकाल में नहीं मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भद्राकाल में राखी बांधने से भाई बहन के रिश्तों में खटास आ जाती है। इसलिए भाई बहन को राखी शुभ मुहूर्त में ही बांधनी चाहिए। साथ ही भद्राकाल में जहां भी शुभ और मांगलिक कार्य, यज्ञ और अनुष्ठान किया जाता है वहां समस्याएं आने लगती हैं।
रक्षाबंधन को लेकर विभिन्न मान्यताएं भी है। एक प्रचलित कथा के अनुसार, जब महाभारत में भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी तो द्रौपदी ने उनकी उंगली से खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। इसपर भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया था।
- कब है रक्षाबंधन ?
इस साल सावन पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 3 बजकर 4 मिनट पर आरंभ हो जाएगी और इसका समापन 19 अगस्त की रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा।