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सोलर हाई मास्ट लाइट से जगमगाएंगे रांची के गांव : संजय सेठ

रांची, 22 सितंबर । रक्षा राज्य मंत्री सह रांची के सांसद संजय सेठ का एक और प्रयास सफल हुआ है और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। रांची लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में 2000 सोलर हाई मास्ट लाइट लगाए जाने की स्वीकृति मिली है। बहुत जल्द सभी लाइट ग्रामीण क्षेत्रों में लगाई जाएगी। इस आशय की जानकारी देते हुए केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री ने रविवार को अपने केंद्रीय कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में बताया कि रांची लोकसभा क्षेत्र से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो, इस उद्देश्य के साथ मेरा एक प्रयास था कि हर गांव तक सोलर लाइट लगे। मेरे इस प्रयास को सफलता मिली है। 6 करोड़ की लागत से 2000 हाई मास्ट लाइट की स्वीकृति प्रदान की गई है। एक लाइट की कीमत लगभग 30 हजार रुपए है। यह सभी लाइट 15 फीट के पल पर लगेगी, जिसमें 30 वाट के 6 लाइट होंगे। सबसे अच्छी बात होगी कि यह लाइट सोलर से चार्ज होगा और शाम में अंधेरा होने पर खुद जल जाएगा।

केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि इस प्रकाश के माध्यम से गांव के नुक्कड़ चौक चौराहे सभी रोशन होंगे और हाथी प्रभावित क्षेत्रों में भी लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि इन सोलर लाइट को सरना स्थल, धूमकुडिया भवन, सामुदायिक भवन, अखाड़ा, चौपाल, महत्वपूर्ण चौक चौराहा, पंचायत भवन, चबूतरा, हाथी प्रभावित क्षेत्र व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया की रांची लोकसभा क्षेत्र का समुचित विकास हो इस सोच के साथ उनका प्रयास हमेशा जारी रहता है। यह कार्य भी उसी की एक कड़ी है।

सेठ ने राज्य सरकार को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि यह सरकार बिल्कुल अब व्यावहारिक हो चुकी है। दमनकारी नीतियों पर चल रही है। शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हर रूप से झारखंडवासियों का दमन किया जा रहा है। खुलेआम हत्या हो रही है। महिलाओं के साथ अपराध हो रहे हैं। राजधानी रांची में छिनतई की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है और सरकार और प्रशासन हाथ पैर हाथ धरे बैठा है।

दो दिनों तक इंटरनेट बंद किए जाने के मामले में सेठ ने कहा कि यह अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति थी। जेएसएससी की परीक्षा का भ्रष्टाचार और कदाचार आम जनता के बीच नहीं फैल सके, इस उद्देश्य से इंटरनेट बंद किया गया था। इंटरनेट बंद करने का उद्देश्य कदाचार और भ्रष्टाचार रोकना नहीं था।

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