पटना के अस्पताल में चूहों का आतंक, मरीज के पैर के अंगूठे समेत चार अंगुलियां कुतरी
पटना । राजधानी का नालंदा मेडिकल कालेज सह अस्पताल (एनएमसीएच) आजकल अपनी चिकित्सा सेवाओं से ज्यादा चूहों के कहर को लेकर सुर्खियों में है।
यहां मधुमेह रोग से पीड़ित मरीज टखने के जोड़ को फिक्स कराने के लिए भर्ती हुआ था। बुधवार को डाक्टरों ने सर्जरी भी कर दी, लेकिन गुरुवार की रात चूहों ने साथ में इकलौते पैर के अंगूठे समेत चार अंगुलियां बुरी तरह से कुतर दीं।
डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण मरीज को इसकी जानकारी नहीं हुई और चूहों की करतूत का पता स्वजन को सुबह में चला। यही नहीं, इन्हें रिकंस्ट्रक्ट करने के लिए संस्थान में प्लास्टिक सर्जरी विभाग भी नहीं है।
ऐसे में पैर की अंगुलियों से ताकत न मिलने के कारण रोगी चलने-फिरने से पूरी तरह से लाचार हो सकता है क्योंकि उसका एक पैर 10 वर्ष पहले ही कट चुका है।
इसके पूर्व 16 नवंबर 2024 को नालंदा से रेफर होकर आए युवक की मृत्यु के बाद रात में उसकी एक आंख गायब हो गई थी।
उस समय आंख निकालने का स्वजन ने आरोप लगाया था, लेकिन बाद में चूहों के निगलने की बात कही गई थी। हालांकि, एनएमसीएच प्रशासन चूहों के द्वारा पैर कुतरने की घटना से इन्कार कर रहा है। मामले की जांच को टीम गठित की गई है।
पटना निवासी मधुमेह रोगी अवधेश कुमार डायबिटिक न्यूरोपैथी से पीड़ित हैं। ऐसे में उन्हें अपने शरीर में हो रही काटने आदि की जानकारी नहीं हो पाती है। उनका एक पैर करीब 10 वर्ष पूर्व कट चुका है।
हाल के दिनों में दूसरे पैर के टखने के जोड़ हटने से चलने में बहुत दर्द होता था। जोड़ फिक्स कराने के लिए गत सप्ताह वे डॉ. शंभू कुमार की यूनिट में भर्ती हुए। बुधवार को टखने की सर्जरी की गई।
इसके बाद उन्हें वार्ड में बेड नंबर 55 पर स्थानांतरित कर दिया गया। गुरुवार रात जब मरीज व तीमारदार उनकी पत्नी सो रही थी, चूहों ने इकलौते पैर के बैंडेज व अंगूठे समेत चार अंगुलियां बुरी तरह कुतर दीं।
सुबह जब स्वजन ने बिस्तर पर खून व पैर देखा तो भड़क गए। उन्होंने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और सफाई, वार्ड ब्वाय व नर्सिंग सेवा पर लापरवाही के आरोप लगाए।
उनका कहना था कि अस्पताल की साफ-सफाई बहुत खराब है। रात में वार्ड में चूहों का आतंक रहता है। मरीजों की देखभाल के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
हड्डी के विभागाध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश ने अधीक्षक को बताया कि रोगी डायबिटिक गैंगरिन से पीड़ित था। एक पैर पहले कट चुका है।
ऐसे में पैर की अंगुलियां चूहों ने काटीं या गैंगरिन से कटकर गिरीं, यह कहना मुश्किल है। सीसीटीवी से मामले की जांच करने पर ही सच्चाई की जानकारी हो सकेगी।
अवधेश के वार्ड में भर्ती एक महिला मरीज ने भी अपने पैर में चूहे के काटने की बात कही है। टूटे हाथ की सर्जरी कराने को भर्ती महिला ने बताया कि जिस चूहे ने अवधेश कुमार को काटा उसी ने बेड पर चढ़ कर मेरे पैर में काटा था। अहसास होते ही झटका दे हटाया और देखा तो मोटा चूहा भाग कर जा रहा था। दूसरे दिन सुबह जब उनका पैर कुतरने की चर्चा हुई तो नर्सों व अस्पतालकर्मियों को बताया लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
एनएमसीएच प्रशासन अस्पताल व वार्डों में चूहों के कहर से वाकिफ है, लेकिन उन्हें खत्म करने की कोई पहल नहीं कर रहा है। छह माह पूर्व नालंदा के युवक की आंख गायब होने का कारण जब चूहों को माना गया था, उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। न तो चूहों को खत्म करने के प्रयास किए गए और न ही साफ-सफाई की उचित व्यवस्था हुई। जिन ड्यूटी नर्स को निलंबित किया गया था, उसे भी कुछ समय बाद ही बहाल कर दिया गया था।