महाकुंभ को कचरे व बड़े खर्च से संघ ने बचाया
प्रयागराज/दिल्ली 11 फरवरी: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के महाकुंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पहल ने कई कीर्तिमान गढ़े हैं। थाली-थैला वितरण योजना ने लाखों रुपए तो बचाए ही अनेकानेक परिवारों को इसी पहल के माध्यम से महामेले से जोड़ा भी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पत्तल-दोनों के उपयोग में 80 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। अपशिष्ट (कचरा) का आकलन 40 हजार टन से अधिक का था किन्तु थाली -थैला भरपूर पहुंच जाने से इसमें 29 हजार टन की कमी आई।
संघ परिवार के सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि महामेले में पत्तल-दोनों पर प्रतिदिन खर्च का अनुमान साढ़े तीन करोड़ रुपए का था। चालीस दिन के हिसाब से यह राशि विपुल की श्रेणी में रखी जा सकती है जबकि इसमें परिवहन, ईंधन, सफाई कर्मचारी और अन्य संबंधित लागतें सम्मिलित नहीं हैं। इतना ही नहीं पुनः प्रयोज्य बर्तनों में भोजन परोसे जाने के कारण खाद्य अपशिष्ट में 70 प्रतिशत की कमी आई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से प्रदत्त अधिकृत जानकारी के अनुसार संगठन की दृष्टि से 46 राज्यों में से तीन (मणिपुर, त्रिपुरा व अरुणाचल) छोड़कर शेष 43 राज्यों के 7258 संग्रह केन्द्रों पर 2241 संगठनों के सहयोग से थाली -थैला एकत्रित किया गया। कुल 1417064 थाली,1346128 थैला और263678 गिलास एकत्रित करके संघ ने अपने स्रोतों से महाकुंभ तक पहुंचाया। ये अखाडों, भंडारों व अन्य सामुदायिक धार्मिक रसोई के लिए लाखों रुपए की बचत करने वाला रहा।
इन बर्तनों का उपयोग वर्षों तक होगा जिससे अपशिष्ट में कमी और बचत भी निरन्तर चलेगी। संघ का मानना है कि इसके साथ ही सार्वजनिक आयोजनों के लिए ‘बर्तन बैंक’ की अवधारणा विकसित होगी। इस बड़े अभियान को शून्य बजट के साथ केवल सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से सफलता पूर्वक क्रियान्वित किया गया। संघ के स्वयंसेवकों की अनेक टोलियां इन बर्तनों को यथोचित हाथों तक पहुंचाने में लगाई गई थीं।