शाह ने त्रिपुरा में सहकारिता क्षेत्र को मजबूत बनाने को विभिन्न पहलों का किया शुभारंभ
नयी दिल्ली 22 दिसंबर : केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने त्रिपुरा में सहकारिता क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए रविवार को विभिन्न पहलों का शुभारंभ किया और कहा कि त्रिपुरा के हर किसान और गरीब के कल्याण के लिए राज्य में सहकारिता पर बल दिया जा रहा है।
इस अवसर पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रो (डॉ.) माणिक साहा और सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा स्थापित सहकारिता मंत्रालय का उद्देश्य सहकार से समृद्धि है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य सिर्फ दुनिया में तीसरे नम्बर की अर्थव्यवस्था बनने का नहीं है बल्कि इस प्रक्रिया में 140 करोड़ भारतीयों की सहभागिता भी होनी चाहिए। हर परिवार और व्यक्ति तक समृद्धि, सुख, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा पहुंचनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे हासिल करने के लिए सहकारिता के सिवा कोई और रास्ता नहीं है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश में आठ लाख से अधिक सहकारी संस्थाएं हैं जिनके माध्यम से 35 करोड़ से अधिक लोग सहकारिता से जुड़े हैं। अमूल, इफ्को, कृभको, नेफेड जैसी सहकारी संस्थाओं ने जन-जन को कोऑपरेटिव के साथ जोड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज बैंकिंग, कृषि वित्तपोषण, चिकित्सा सहयोग और खाद के वितरण सहित लगभग सभी क्षेत्रों में सहकारिता मौजूद है।
श्री शाह ने कहा,“हमने मोबाइल ग्रामीण मार्ट को नाबार्ड के माध्यम से शुरू किया है और पांच ज़िलों में ये मार्ट भारत ब्रांड के साथ लोगों को नाबार्ड के माध्यम से दलहन, चावल औरगेहूं का आटा सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने का प्रयास करेगा।” उन्होंने कहा कि त्रिपुरा राज्य सहकारी बैंक की 50 प्राथमिक सहकारी समितियों को माइक्रो एटीएम उपलब्ध कराया गया है। त्रिपुरा में कोऑपरेटिव पैट्रोल पंप और धलाई ज़िले में एक उपभोक्ता स्टोर का भी उद्घाटन हुआ है।
श्री शाह ने कहा कि त्रिपुरा परंपरागत रूप से 70 प्रतिशत से अधिक ऑर्गेनिक उत्पाद पैदा करने वाला राज्य है, लेकिन यहां के उत्पादों का ‘सर्टिफिकेशन’ नहीं होता है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा के किसानों को सहकारी संस्थाओं के माध्यम से नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड के साथ जुड़ना चाहिए जिससे उनकी भूमि और उत्पादों का सर्टिफिकेशन हो सके। उन्होंने कहा कि दो-तीन वर्ष के अंदर ही यह किसानों के उत्पादों का कम से कम 30 प्रतिशत दाम ज्यादा दिलाएगा।