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सीतारमण का जी-20 देशों से क्रिप्टो-परिसंपत्तियों को लेकर रूपरेखा तैयार करने का आह्वान

मुंबई 05 सितंबर : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जी 20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के राजधानी दिल्ली में होने जा रहे शिखर सम्मेलन से पहले आज इन देशों से क्रिप्टो परिसंपत्तियों से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक योजना का आह्वान किया।

श्रीमती सीतारमण ने यहां तीन दिवसीय वैश्विक फिनटेक फेस्ट 2023 का शुभारंभ करने के दौरान यह बात कही। उन्होंने भारत की जी-20 अध्यक्षता का उल्लेख करते हुये कहा कि इस अध्यक्षता के दौरान भारत ने क्रिप्टो परिसंपत्तियों से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता बतायी है। आईएमएफ और एफएसबी जैसे संस्थानों ने भी अपना संश्लेषण पत्र प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा, “भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान हमें बहुराष्ट्रीय विकास बैंकों के सुधार, वैश्विक ऋण समस्या, कर चोरी और कराधान की दोहरी-स्तंभ प्रणाली जैसे मुद्दों पर चर्चा और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक ‘राष्ट्रीय अनुभवों पर सूचनाओं के आदान-प्रदान और धन के निर्बाध प्रवाह के लिए राष्ट्रीय तेज भुगतान प्रणालियों के अंतर-कार्यान्वयन से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय पहल’ है, जिससे सीमा पार लेनदेन में वृद्धि की उम्मीद है।

वित्त मंत्री ने कहा कि समावेशी, लचीली और टिकाऊ वित्तीय प्रणाली के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी एक प्रभावी उपकरण है। साथ ही, वैश्विक सहयोग और साझेदारी जैसी व्यवस्था बनाने और एक जिम्मेदार वित्तीय व्यवस्था बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सहयोग जरूरी है।

उन्होंने कहा कि जिम्मेदार वैश्वीकरण एक ऐसा मुद्दा है जिसमें हमें भी योगदान देना होगा। वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए खतरे, जैसे कि भौतिक सीमा खतरे, साइबर खतरे, क्रिप्टो खतरे, मादक पदार्थों की तस्करी, कर चोरी क्षेत्र, अनैतिक वित्तीय प्रथाएं जैसे राउंड ट्रिपिंग, कर चोरी, आदि आज, जब प्रौद्योगिकी आगे बढ़ रही है और बहुत तेज़ गति से बदलते हुए, अलग-अलग देशों के लिए, अपनी अलग-अलग क्षमताओं के साथ, इस तकनीक का उपयोग करना कठिन होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए एक जिम्मेदार वैश्विक वित्तीय प्रणाली का निर्माण बेहद प्रासंगिक हो गया है। जिस गति से फिनटेक ने वित्तीय प्रणाली में प्रवेश किया है, उसे देखते हुए इस क्षेत्र में समावेशिता, स्थिरता और दृढ़ता, लचीलापन बनाए रखना होगा।

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