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ठोस मौद्रिक ढांचे ने उभरते बाजारों को हाल के संकटों से निपटने में मदद की: गीता गोपीनाथ

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि उभरते बाजारों ने हाल के संकटों के दौरान मजबूत मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क का निर्माण कर और मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण को लेकर प्रतिबद्धता के साथ मजबूती दिखाई है।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि अनिश्चित समय में विश्वसनीयता बनाए रखने और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर रखने के लिए केंद्रीय बैंकों के लिए स्पष्ट और सावधानीपूर्वक संपर्क जरूरी होगा।

हाल ही में आईएमएफ की बैठक के दौरान गोपीनाथ ने कहा, उभरते बाजारों को बधाई। इन बाजारों ने महामारी सहित कई कठिन चुनौतियों के बाद भी मजबूती का प्रदर्शन किया है।

उन्होंने एक्स पर एक वीडियो भी पोस्ट किया।

उन्होंने आगे कहा उन्होंने एक अच्छे, ठोस मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क और मुद्रास्फीति लक्ष्य व्यवस्था का निर्माण किया। उन्होंने विश्वसनीयता को बनाए रखा और अनिश्चित माहौल में इसके प्रति प्रतिबद्धता दिखाई। हमें इससे सीख लेनी चाहिए।

आईएमएफ की एक रिपोर्ट में 120 से ज्यादा देशों के लिए विकास पूर्वानुमान में कटौती की गई है। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरते बाजारों में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है और यह अगले दो वर्षों में 6 प्रतिशत से अधिक की अनुमानित वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र देश है।

आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री के अनुसार, हमारा अप्रैल 2025 विश्व आर्थिक परिदृश्य 2025 के लिए 2.8 प्रतिशत की दर पर काफी कमजोर वैश्विक विकास का अनुमान लगाता है, जिसमें 127 देशों के लिए विकास में गिरावट है, जो विश्व जीडीपी का 86 प्रतिशत है।

आगे के लिए व्यापार नीतियों पर स्पष्टता और पूर्वानुमान की आवश्यकता है। गोपीनाथ ने कहा कि देशों को फिर से मजबूत बनने और विकास की गति को बहाल करने के लिए संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करना चाहिए।

आउटलुक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है, जो दूसरे स्थान पर मौजूद चीन के 2025 के लिए 4 प्रतिशत और 2026 में 4.6 प्रतिशत के आर्थिक विकास पूर्वानुमान से 2 प्रतिशत अधिक है।

गोपीनाथ के अनुसार, मुद्रास्फीति को लेकर प्रतिबद्धता के बारे में संचार पर ध्यान केंद्रित करना और दीर्घकालिक मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को स्थिर करने पर लक्ष्य बनान, उभरते बाजारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी 54वीं बैठक और वित्त वर्ष 2025-26 की पहली बैठक में सर्वसम्मति से नीति रेपो दर को 25 आधार अंकों से कम करने का फैसला किया, जिससे यह तत्काल प्रभाव से 6 प्रतिशत हो गई।

यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां तेजी से अनिश्चित होती जा रही हैं। व्यापार तनाव फिर से उभर आया है, जिसके कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है, अमेरिकी डॉलर कमजोर हुआ है, बॉन्ड यील्ड में नरमी आई है और इक्विटी बाजारों में सुधार हुआ है।

जबकि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक घरेलू चिंताओं को दूर करने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव कर रहे हैं। भारत में, परिदृश्य में सुधार के संकेत मिले हैं। मुद्रास्फीति, विशेष रूप से खाद्य मुद्रास्फीति, अपेक्षा से अधिक घटी है, जिससे कुछ राहत मिली है, हालांकि वैश्विक और मौसम संबंधी जोखिम अभी भी बने हुए हैं।

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