राज्य एक दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभव से सीख कर आगे बढ़े: मुर्मु
नयी दिल्ली 03 अगस्त : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहा कि देश का विकास राज्यों के समावेशी एवं त्वरित विकास पर निर्भर करता है इसलिए सभी राज्यों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।
राज्यपालों का दो दिवसीय सम्मेलन के आज राष्ट्रपति के समापन भाषण के साथ संपन्न हुआ। उन्होंने सम्मेलन में परस्पर सीख की भावना से व्यापक चर्चा करने के लिए राज्यपालों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने इस बात की सराहना की कि राज्यपालों के विभिन्न समूह अपने कार्यालय के कामकाज में सुधार के साथ-साथ लोगों के कल्याण के लिए अपने मूल्यवान विचार और सुझाव लेकर आए, और विश्वास व्यक्त किया कि इन सुझावों को लागू किया जाएगा।
सम्मेलन का दूसरा दिन राज्यपालों के छह समूहों द्वारा अपने विचार-विमर्श के आधार पर प्रस्तुतियाँ देने और राष्ट्रपति के समक्ष भविष्य का रोडमैप सुझाने के साथ शुरू हुआ। इस मौके पर श्रीमती मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मौजूद थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन ने सभी प्रतिभागियों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है, जिन्होंने महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को प्रभावी कामकाज के लिए संबंधित राज्य सरकारों के साथ जानकारी मांगने और निरंतर संचार बनाए रखने में संकोच नहीं करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने राज्यपालों से राजभवनों में शासन का एक आदर्श मॉडल विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राजभवनों के प्रभावी संचालन के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने का लगातार प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्यपालों से अपने कामकाज में प्रौद्योगिकी को अपनाने और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया। प्रधान मंत्री ने विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों के पूर्व छात्र नेटवर्क की ताकत का दोहन करने का आह्वान किया और उनसे शैक्षणिक परिसरों को नशीली दवाओं से मुक्त बनाने के लिए एक जन अभियान विकसित करने की अपील की। उन्होंने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा सुझाए गए प्राकृतिक खेती का भी उल्लेख किया और अन्य राज्यपालों से अन्य राजभवनों में प्राकृतिक खेती के मॉडल का अनुकरण करने और अपने परिसरों को रसायनों से मुक्त बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राजभवनों को दूसरों के लिए प्रेरणा और प्रेरणा का स्रोत बनना चाहिए।
राज्यपालों के समूहों द्वारा प्रस्तुत सभी रिपोर्टों के अवलोकन के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री ने उनके प्रयासों की सराहना की और बताया कि राज्यपालों और राजभवनों के कामकाज को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी कार्रवाई योग्य बिंदु उठाए जाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश का विकास राज्यों के समावेशी और त्वरित विकास पर निर्भर करता है। सभी राज्यों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पात्र नागरिक जन कल्याण कार्यक्रमों से वंचित न रहे, सरकार ने अंतिम-मील वितरण पर बहुत जोर दिया है। इससे आम नागरिकों का जीवन बेहतर हुआ है। उन्होंने राज्यपालों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि सभी लोक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचे ताकि समावेशी विकास के लक्ष्य को सही मायने में हासिल किया जा सके।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि सार्थक और समग्र सामाजिक समावेशन के लिए महिलाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित कर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया जा सकता है। साथ ही, महिला नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप को बढ़ावा देकर ‘महिला नेतृत्व वाले विकास’ का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। उन्होंने राज्यपालों को सलाह दी कि वे समय-समय पर ऐसी सक्रिय महिला उद्यमियों और महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों से बातचीत करें और उनका मार्गदर्शन करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश के विकास की प्रक्रिया में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों की भागीदारी को और बढ़ावा देकर राज्यपाल समावेशी विकास के राष्ट्रीय संकल्प को पूरा करने में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए आवंटित संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए राज्यपालों के एक उप-समूह के सुझाव पर प्रकाश डाला और आशा व्यक्त की कि सभी राज्यपाल इस सुझाव को प्राथमिकता देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि राजभवनों के माहौल में भारतीय लोकाचार प्रतिबिंबित होना चाहिए। राज्यपालों को राजभवनों से आम लोगों का जुड़ाव बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। लोगों को राजभवन के प्रति अपने भवन के रूप में आत्मीयता की भावना रखनी चाहिए। कई राजभवन सार्वजनिक यात्राओं के लिए खुले हैं और अन्य भी इस प्रथा का पालन कर सकते हैं। राजभवन सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर जन सहभागिता बढ़ा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी डिजिटल पहल की पूरी दुनिया में सराहना हो रही है। राजभवनों के कामकाज में डिजिटल माध्यम का उपयोग एक अच्छा उदाहरण स्थापित करेगा। साइबर सुरक्षा, डेटा सुरक्षा और तकनीकी नवाचार के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए राजभवन सेमिनार और संगोष्ठी भी आयोजित कर सकते हैं।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि जन कल्याण और समग्र विकास के लिए सभी संस्थानों का सुचारू संचालन बहुत महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन में विभिन्न संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय बनाने के उद्देश्य से चर्चा हुई । भारत की संघीय व्यवस्था में राज्यपाल केंद्र और राज्यों के बीच की कड़ी हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राज्यपालों के समूहों द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार सहकारी संघवाद और केंद्रीय संस्थानों के आपसी समन्वय को बढ़ावा दिया जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपाल नागरिकों के लिए आदर्श उदाहरण स्थापित करने के लिए जिम्मेदार हैं। यदि वे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उदाहरण स्थापित करेंगे तो यह न केवल उनकी पहचान बनेगी बल्कि लोगों का मार्गदर्शन भी करेगी।