सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए अधिकारियों पर लगाया 25-25 हजार का जुर्माना
- सड़कों को चौड़ा करने काे लेकर दिल्ली के दक्षिणी रिज में अवैध तरीके से पेड़ काटने पर ठहराया दोषी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के अधिकारियों को दिल्ली के दक्षिणी रिज में सड़कों को चौड़ा करने के लिए अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई करने के मामले में अवमानना का दोषी करार दिया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस अवमाननापूर्ण कार्रवाई के लिए जिम्मेदार डीडीए अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। डीडीए के उपाध्यक्ष ने अपने हलफनामा में कहा था कि उनकी जानकारी के बिना 642 पेड़ काटे गए। इसी हलफनामा पर गौर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अब डीडीए पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए और दिल्ली सरकार के अधिकारियों के लिए कुछ विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो पाैधरोपण को बढ़ावा देने और दिल्ली में हरित कवर को बढ़ाने के लिए डीडीए और दिल्ली सरकार को सुझाव देगी।
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के दक्षिणी रिज इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटने के मामले में डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की थी।
कोर्ट ने 16 मई 2024 को पांडा को गुमराह करने वाले हलफनामा पर नाराजगी जताते हुए अवमानना नोटिस जारी किया था। डीडीए के उपाध्यक्ष ने अपने हलफनामा में कहा था कि उनकी जानकारी के बिना 642 पेड़ काटे गए। इसी हलफनामा पर गौर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अब डीडीए पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के सदस्य जस्टिस एएस ओका ने कहा था कि मैं 20 वर्षों से ज्यादा समय तक संवैधानिक कोर्ट में जज रहा हूं, लेकिन ऐसा गुमराह करने वाला हलफनामा अभी तक नहीं देखा। कोर्ट ने कहा था कि ये पता होते हुए कि बिना कोर्ट की अनुमति के एक भी पेड़ काटे नहीं जाएंगे, 10 दिनों तक पेड़ों की कटाई होती रही।