शराब पर सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 34 साल पुराना फैसला, CJI बोले- ‘नहीं छीन सकते राज्य की शक्ति’
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की 9 जस्टिस की संवैधानिक पीठ ने 8:1 के अनुपात से इंडस्ट्रियल अल्कोहल यानी औद्योगिक शराब पर केंद्र के अधिकार को खत्म कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने बुधवार (23 अक्टूबर) के फैसला सुनाते हुए कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने का अधिकार राज्य को है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन पर नियामक शक्ति का अभाव है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1990 के सात न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के सिंथेटिक्स और केमिकल्स मामले में दिए गए फैसले को खारिज कर दिया। 1990 में संवैधानिक पीठ ने केंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया था। संवैधानिक पीठ की ओर से कहा गया था कि राज्य समवर्ती सूची के तहत भी औद्योगिक शराब को विनियमित करने का दावा नहीं कर सकते हैं।
- ‘नहीं छीनी जा सकती राज्य की शक्ति’- बोले सीजेआई
सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि औद्योगिक अल्कोहल पर कानून बनाने के राज्य के अधिकार को छीना नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों को औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन और सप्लाई को लेकर भी नियम बनाने का अधिकार है।
फैसले में कहा गया है कि उपभोक्ता इस्तेमाल में आने वाली शराब से जुड़ी कानूनी शक्ति राज्यों के पास हैं। उसी तरह राज्यों को औद्योगिक एल्कोहल के भी नियमन का अधिकार होना चाहिए. बहुमत का फैसला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, एएस ओका, जेबी पारदीवाला, उज्ज्वल भुइयां, मनोज मिश्रा, एससी शर्मा और एजी मसीह ने दिया।
- जीएसटी आने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे याचिकाकर्ता
वहीं, इस फैसले पर असहमति जताते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि केवल केंद्र के पास ही औद्योगिक शराब को विनियमित करने की विधायी शक्ति होगी। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद आय के अहम स्रोत के रूप में इंडस्ट्रियल अल्कोहल पर टैक्स लगाने का अधिकार काफी अहम हो गया है।