लखीमपुर हिंसा के गवाहों को धमकाने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, टेनी मामले में पुलिस से मांगी रिपोर्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में हुई लखीमपुर हिंसा मामले में गवाहों को धमकाने के आरोपों पर सख्ती जताई है। कोर्ट ने मुख्य आरोपी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा टेनी पर लगे गवाहों को प्रभावित करने के आरोप पर यूपी पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लखीमपुर खीरी के एसपी मामले की जांच करके पूरी रिपोर्ट सौंपे।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने गवाहों को धमकाने के आरोपों पर सख्त नाराजगी जाहिर की। वहीं आरोपी आशीष मिश्रा के वकील सिद्धार्थ दवे ने आरोपों से इन्कार किया। आरोपी के वकील ने कहा कि हर बार जब मामला अदालत के समक्ष आता है, तो शीर्ष अदालत द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने के लिए इस तरह के दावे किए जाते हैं। उनके मुवक्किल को अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
जबकि शिकायतकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उनके पास मामले में महत्वपूर्ण गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की ऑडियो रिकॉर्डिंग है। उन्होंने आरोप लगाया कि आशीष मिश्रा ने जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए एक सार्वजनिक बैठक में भाग लिया। उन्होंने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग की। प्रशांत भूषण ने कहा कि अदालत आरोपों की सच्चाई का पता लगा सकती है।
इसके बाद पीठ ने भूषण और दवे से कहा कि वे अपनी सामग्री उत्तर प्रदेश सरकार की स्थायी वकील रुचिरा गोयल को सौंप दें ताकि उसे लखीमपुर खीरी के एसपी को सौंप दिया जा सके। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को 22 जुलाई को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, लेकिन उसे दिल्ली और लखनऊ में न रहने का निर्देश दिया था, ताकि वह गवाहों को प्रभावित न कर सके। इसके बाद 26 सितंबर को शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने की इजाजत दे दी थी।
गौरतलब है कि 3 अक्तूबर 2021 को उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के लखीमपुर दौरे के विरोध में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इसी दौरान एक कार से कुचलकर चार किसानों की मौत हो गई थी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हुई थी। इस मामले में आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी है। घटना के बाद गुस्साए किसानों ने कार के ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की भी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।