प. बंगाल में ओबीसी सर्टिफिकेट निरस्त करने के मामले में 28-29 जनवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद बने ओबीसी सर्टिफिकेट को निरस्त करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टाल दिया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अंतिम सुनवाई 28 एवं 29 जनवरी को करने का आदेश दिया।
इसके पहले 9 दिसंबर, 2024 को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण का आधार धर्म नहीं हो सकता है। तब पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि राज्य सरकार ने ये आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं दिया है बल्कि पिछड़ेपन के आधार पर दिया है। सिब्बल ने कहा था कि 2010 के बाद बने ओबीसी सर्टिफिकेट को निरस्त करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश से हजारों छात्रों के अधिकारों पर असर पड़ा है। इससे यूनिवर्सिटी में दाखिला और रोजगार चाहने वाले नौजवान प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त 2024 को हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी किया था।
यह याचिका पश्चिम बंगाल सरकार ने दायर की है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि ओबीसी के वर्गीकरण का काम राज्य सरकार का है न कि आयोग का। उन्होंने कहा था कि हाई कोर्ट का आदेश असंवैधानिक है। हाई कोर्ट सरकार चलाना चाहती है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल में आरक्षण से जुड़े सभी काम ठप हो गए हैं। दरअसल, 22 मई, 2024 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2010 के बाद बने 37 समुदायों के ओबीसी सर्टिफिकेट को निरस्त कर दिया था। हाई कोर्ट के इस आदेश को पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।