तेजस्वी यादव ने ‘लेटरल एंट्री’ पर उठाए सवाल, भाजपा ने किया पलटवार
पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने लेटरल एंट्री के जरिये केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान और आरक्षण को खत्म कर असंवैधानिक तरीके से लेटरल एंट्री के जरिए उच्च सेवाओं में आईएएस, आईपीएस की जगह बिना परीक्षा दिए आरएसएस के लोगों को भर रहे हैं।
बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक बयान जारी कर 18 बिंदुओं के जरिये सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान सम्मत उच्च सेवाओं में भर्ती संघ लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से होती है जिसमे प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार होता है। इसमें एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए रिजर्वेशन लागू होता है। लेकिन लेटरल एंट्री में भर्ती सिर्फ साक्षात्कार के माध्यम से हो रही है और बिना परीक्षा के। इसमें सभी लोग भाग नहीं ले सकते।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी आरक्षण विरोधी हैं, इसलिए इन उच्च पदों में आरक्षण को खत्म करने के लिए इसे एकल पद दिखाया गया है जबकि कुल पद 𝟒𝟓 हैं। अगर इसमें आरक्षण लागू होगा तो इनमें से 50 प्रतिशत पद दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को मिलते। बिना परीक्षा की ऐसी सीधी नियुक्ति में इन्हें सीधा नुकसान होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि यह भाई-भतीजावाद एवं विशेष विचारधारा के लोगों की बैक डोर एंट्री है अन्यथा आईएएस, आईपीएस में भर्ती युवा हर क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। जरूरत है सिर्फ सही अधिकारी की सही पोस्टिंग करने की। लेकिन पोस्टिंग के वक्त मोदी सरकार अधिकारियों की जाति के आधार पर प्राथमिकता देती है। यही कारण है कि केंद्रीय सरकार में सचिव स्तर पर एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारी ना के बराबर हैं।
इधर , तेजस्वी यादव के बयान पर भाजपा ने पलटवार करने में देरी नहीं की। भाजपा के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि एनडीए सरकार संवैधानिक व्यवस्था की सबसे बड़ी संरक्षक है। संवैधानिक व्यवस्था के तहत ही यह सरकार काम करती है। यह भी तय है कि मोदी सरकार के रहते कोई आरक्षण को समाप्त नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि लेटरल इंट्री कांग्रेस और इंडी गठबंधन का विरोध ढकोसला है। 2005 में कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में स्थापित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने लेटरल एंट्री का जोरदार समर्थन किया था। यूपीए के शासनकाल में आयोग ने विशेष ज्ञान वाले पदों को रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी। अब कांग्रेस और सहयोगी दल इसका विरोध कर रहे हैं।
मिश्रा ने कहा कि सही अर्थों में इनकी नीयत ठीक नहीं है। ये सिर्फ झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने की कोशिश करते हैं।
–आईएएनएस