करम पर्व पर गूंज रही मांदर-नगाड़े की थाप
हजारीबाग। मांदर नगाड़ों की थाप और करम गीत के साथ शनिवार को करम पर्व की शुरुआत हुई। जिले के विभिन्न प्रखंड मुख्यालय के सुदूर ग्रामीण इलाकों में करम पर्व मनाया जा रहा है। लोग अखरा में रात भर झूमेंगे और सुबह करम की डाली को नदी, तालाब में विसर्जित करेंगे। करम पर्व भाई बहन की सलामती का पर्व है।
करम पर्व को लेकर भाद्र मास के एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला करम पर्व को लेकर मांदर की थाप सुनाई देने लगी है। करम पर्व के गीत भी सुनाई देने लगे हैं।इसके साथ पूरे वातावरण में एक मस्ती सी घुलने लगी है। करमा झारखंड के आदिवासियों का एक प्रमुख पर्व है।आदिवासी समाज अपनी आस्था और मान्यता को लेकर कई पर्व मनाते हैं। इस पूजा में महिलाएं 24 घंटे उपवास करती हैं। इस दौरान महिलाएं कर्मडाल की पूजा करती है, जिसे भाई मानकर अपने घर परिवार और समाज को सुरक्षित रखने के लिए व्रत रखती हैं।
इस दौरान कई तरह के गीत गाए जाते हैं। करमा पूजा के एक सप्ताह पूर्व से यहां की महिलाएं एकत्रित होकर गीत गाते हुए गांव के आसपास के किसी नदी नाला के किनारे जाती है और वहां स्नान करती है और नया डाला बांस की टोकरी में बालू उठा कर लाती है। इस बालू में विभिन्न प्रकार के बीज यथा गेहूं, मकई, जो, चना इत्यादि धोकर रख देती है। इसे जावा उठाओ भी कहते हैं। जब इस डाला को सुरक्षित रखने के लिए कुछ व्रती का चुनाव किया जाता है, जिसे डालयतीन कहा जाता है। इस डाला को डालयतीन अपने घरों में रखते हैं। करम पर्व पर बजने वाले गीत में बरो रे दिया आजो कर राति जैसे कई गीत सुनाई दे रही है।