‘भारत छोड़ो’ का आह्वान आज अमृत काल में और भी अधिक प्रासंगिक है : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को ऐतिहासिक ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 81वीं वर्षगांठ पर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यसभा में अपने बयान में सभापति ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि ‘भारत छोड़ो’ का आह्वान आज हमारे अमृत काल में और भी अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि यह आंदोलन इस बात का प्रतीक है कि लोग क्या हासिल करने में सक्षम हैं, अगर वे दृढ़ संकल्प और समर्पण के साथ एक उद्देश्य के लिए मिलकर काम करते हैं।
महात्मा गांधी के ‘करो या मरो’ के आह्वान पर विचार करते हुए धनखड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसने जनता में एक नई ऊर्जा का संचार किया, जिसकी परिणति हमारे देश को औपनिवेशिक शासन के जुए से आजादी हासिल करने में हुई।
उन्होंने संप्रभुता, अखंडता को बनाए रखने और भारत की सेवा के लिए खुद को फिर से समर्पित करने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का आह्वान किया। धनखड़ ने इसे संसद सदस्यों के लिए आत्मनिरीक्षण करने और अपने नैतिक योगदान पर विचार करने का अवसर बताते हुए उनसे राष्ट्र की सेवा में अधिक जोश के साथ फिर से समर्पित होने, बड़े पैमाने पर लोगों की आकांक्षाओं को साकार करने और गौरव का स्थान सुरक्षित करने के लिए कहा।
अपने बयान में, राज्यसभा के सभापति ने स्वतंत्रता के बाद गरीबी उन्मूलन, साक्षरता को बढ़ावा देने, भेदभाव को खत्म करने और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किए गए प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश इन क्षेत्रों में हासिल की गई वृद्धिशील प्रगति पर गर्व करता है, क्योंकि हम 2047 में अपने शताब्दी समारोह की ओर बढ़ रहे हैं।
राज्यसभा के सभी सदस्यों ने हमारी आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के सम्मान में सदन में मौन रखा।