कोलकाता में हो रहा है देश के सबसे बड़े मेट्रो प्लेटफॉर्म का निर्माण
कोलकाता 23 अक्टूबर : कोलकाता में दम दम स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के पास देश के सबसे बड़े मेट्रो प्लेटफॉर्म के निर्माण किया जा रहा जिसका काम मार्च 2025 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
कोलकाता में नोआपारा को 24 परगना के बारासात से जोड़ने वाली कोलकाता मेट्रो लाइन-4 (येलो लाइन) पर दमदम स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के पास विमान बंदर मेट्रो जंक्शन (जय हिंद मेट्रो स्टेशन) का निर्माण किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि यह मार्च 2025 तक बन कर तैयार हो जाएगा जहां पर देश के सबसे बड़े मेट्रो प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जा रहा है।
करीब 17 किलोमीटर दूरी वाली नोआपाड़ा-बारासात मेट्रो लाइन के निर्माण के पहले चरण नोआपाड़ा-हवाई अड्डा मेट्रो लाइन को बनाया जा रहा है। नोआपाड़ा और हवाई अड्डा मेट्रो लाइन की कुल दूरी सात किमी है और इसका निर्माण आरवीएनएल, सेनबो, और आईटीडी द्वारा किया जा रहा है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से करीब 130 मीटर की दूरी पर स्थित इस जंक्शन का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद हवाई सफर करने वाले यात्रियों को काफी सहुलियत होगी और एस्प्लेनड से हवाई अड्डा की दूरी तय करने में काफी समय की बचत होगी।
इस मेट्रो लाइन के निर्माण और इसकी विशेषताओं के बारे में मंगलवार को कोलकाता मेट्रो के अधिकारियों ने मीडियाकर्मियों को जानकारी दी। इस दौरान पूर्वी रेलवे एवं कोलकाता मेट्रो के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने बताया, ‘कोलकाता मेट्रो एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने की ओर अग्रसर है और वह है जय हिंद मेट्रो जंक्शन पर देश के सबसे बड़े मेट्रो प्लेटफॉर्म का निर्माण करना।’ उन्होंने बताया कि इस जंक्शन पर कुल पांच प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जा रहा है और यह पहला मौका है, जब भारत में इतने बड़े प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक देश में किसी भी मेट्रो स्टेशन पर एक ही लाइन पर पांच प्लेटफॉर्मों का निर्माण नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि जय हिंद मेट्रो जंक्शन के निर्माण का कार्य मार्च 2025 तक पूरा हो जाएगा और कोलकाता मेट्रो के नाम एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कोलकाता मेट्रो देश का एक मात्र ऐसा मेट्रो है जिसका परिचालन रेल मंत्रालय करता है। देश के अन्य हिस्सा में मेट्रो सेवा निगमों द्वारा संचालित होती हैं।