बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण आदिवासी समाज के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट : चंपाई सोरेन
रांची, 5 सितंबर । पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने एक बार फिर झारखंड में घुसपैठ को लेकर चिंता जाहिर की है। खासकर संथाल परगना में लगातार हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर सवाल उठाया है।
गुरुवार काे सोशल मीडिया पर उन्हाेंने कहा है कि संथाल-परगना में लगातार हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण आदिवासी समाज के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। वहां दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां आदिवासी खोजने पर भी नहीं मिल रहे। उदाहरण के तौर पर पाकुड़ के जिकरहट्टी स्थित संथाली टोला में अब कोई संथाल परिवार नहीं रहता। इसी प्रकार मालपहाड़िया गांव में आदिम जनजाति का कोई सदस्य नहीं बचा है। आखिर वहां के भूमिपुत्र कहां गए? उनकी जमीनों, उनके घरों पर अब किसका कब्जा है?
चंपाई साेरेन ने कहा कि समाज के स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया कि बरहेट के गिलहा गांव में एक आदिवासी परिवार की जमीन पर जबरन कब्रिस्तान बनाया गया है। ऐसी घटनाएं कई जगह हुई हैं। आप खुद देखिए कि वीर भूमि भोगनाडीह एवं उसके आस-पास कितने आदिवासी परिवार बचे हैं? बाबा तिलका मांझी एवं वीर सिदो-कान्हू ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी भी विदेशी अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके लेकिन आज उनके वंशजों की जमीनों पर घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है। चंपाई के अनुसार घुसपैठ की समस्या हमारे लिए राजनैतिक नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दा है। अगर हम इस विषय पर खामोश रहे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी।