भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति समाज की भूमिका अविस्मरणीय: राज्यपाल
रांची, 09 अगस्त। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राज भवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने बुधवार को जनजातीय समुदाय की विभिन्न हस्तियों और प्रबुद्धजनों से संवाद किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति समाज की भूमिका अविस्मरणीय है। उन्होंने प्रबुद्धजनों से कहा कि वे समाजहित में सक्रियता से कार्य करने के लिए सदैव प्रयासरत रहें तथा शिक्षित एवं ज्ञानवान समाज के निर्माण में अपनी अहम भागीदारी का निर्वहन करें। आपको समुदाय के लिए प्रेरणादायक कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में कहीं समस्याएं हैं, तो वहां जाकर उसका समाधान करना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है। धरतीआबा भगवान बिरसा मुंडा सहित कई महान हस्तियों ने मातृभूमि और समाज के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। प्रधानमंत्री ने उल्लेखनीय पहल करते हुए धरतीआबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को पूरे देश में ”जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। राष्ट्र के लिए उनके द्वारा किये गये बलिदान से भावी पीढ़ियों को प्रेरणा लेनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि जनजाति समाज प्रकृति प्रेमी होते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के इस युग में प्रकृति के संरक्षणके लिए इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग बड़े शहरों में रहते हैं, उनके पास बड़ी इमारतें हैं, सुख-सुविधाओं से घिरे हुए हैं, लेकिन वे दुखी हैं। ऐसे में झारखंड के छोटे-छोटे ग्रामों में रहने वाले लोगों को देखना चाहिए। वे खुश हैं क्योंकि आत्मसंतोष अथवा संतुष्टि की भावना है और वे लालच से दूर अपनी कड़ी मेहनत पर भरोसा करते हैं।
राज्यपाल ने कहा जनजातियों की कला, संस्कृति, लोक परंपरा और रीति-रिवाजों में जीवंतता है। पारंपरिक गीत और नृत्य बहुत आकर्षक होते हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड एवं तमिलनाडु की संस्कृति एवं खानपान में काफी एकरूपता है, सिर्फ भाषायी अंतर है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारे देश की संस्कृति अत्यन्त समृद्ध है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पंचायतों के भ्रमण के क्रम में देखा है कि यहां की आदिवासी समाज की महिलाएं परिश्रमी हैं। वे स्वयं सहायता समूह से जुड़ रही हैं, इससे जुडने के बाद उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यहां के जनजाति समुदाय के लोग कई क्षेत्रों, विशेषकर कला, साहित्य और खेल के विभिन्न रूपों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। झारखंड को “लैंड ऑफ आर्चरी” के रूप में जाना जाता है। यहां के विभिन्न खिलाड़ियों और एथलीटों ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन हमें देखना होगा कि इनकी संख्या क्या है? हमें खेल के क्षेत्र में इन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है।