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समुद्र हमें न केवल व्यापार बल्कि अवसर, विकास और राष्ट्रीय प्रगति से भी जोड़ता है: सर्बानंद सोनोवाल

नई दिल्ली, 5 अप्रैल । बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने पूरे देश में 62वें राष्ट्रीय समुद्री दिवस को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया, जिसमें भारत की समृद्ध समुद्री विरासत और राष्ट्र के विकास और वैश्विक संपर्क में नाविकों के असाधारण योगदान का सम्मान किया गया।

इस वर्ष का विषय था “समृद्ध समुद्र – विकसित भारत और नीली अर्थव्यवस्था तथा हरित विकास के लिए युवा”, जो समुद्री क्षेत्र में सतत विकास के महत्व और नवाचार और पर्यावरण संरक्षण को आगे बढ़ाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

शिपिंग महानिदेशालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय समुद्री दिवस समारोह समिति, दिल्ली चैप्टर ने आज नई दिल्ली के विनय मार्ग खेल मैदान में केंद्रीय समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल उपस्थित थे।

इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा, “राष्ट्रीय समुद्री दिवस पर, हम अपने नाविकों और समुद्री समुदाय की अटूट भावना का सम्मान करते हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाते हैं। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, हम अपने बंदरगाहों को मजबूत करना, तटीय शिपिंग को सशक्त बनाना और नवाचार को अपनाना जारी रखते हैं। हम भारत को वैश्विक समुद्री नेता बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। महासागर हमें न केवल व्यापार से जोड़ता है, बल्कि अवसर, विकास और राष्ट्रीय प्रगति से भी जोड़ता है।”

कार्यक्रम के दौरान सोनोवाल ने जलपान सत्र के दौरान कैडेटों के साथ गर्मजोशी से बातचीत की और उनकी आकांक्षाओं और प्रशिक्षण के बारे में सार्थक बातचीत की। केंद्रीय मंत्री ने महिला कैडेटों से बातचीत की और उन्हें भारत के समुद्री परिदृश्य के भविष्य को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया।

62वें राष्ट्रीय समुद्री दिवस ने न केवल भारत के समुद्री अग्रदूतों की विरासत का सम्मान किया, बल्कि एक हरित, अधिक समावेशी और नवाचार-संचालित समुद्री भविष्य के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की। राष्ट्रीय समुद्री दिवस ‘एस.एस. लॉयल्टी’ की ऐतिहासिक यात्रा का स्मरण करता है, जो पहला भारतीय स्वामित्व वाला स्टीमशिप था, जो 5 अप्रैल, 1919 को मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुआ था। इस महत्वपूर्ण घटना ने भारत के अंतरराष्ट्रीय शिपिंग में प्रवेश को चिह्नित किया और देश की गौरवशाली समुद्री यात्रा की नींव रखी।

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