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सुप्रीम कोर्ट ने बहादुर शाह जफर की वारिस होने का दावा करने वाली सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज की

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय के पोते की विधवा होने का दावा करने और लाल किले पर कब्जा करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये राष्ट्रीय इमारत है और इस पर पैतृक दावा नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि इस याचिका को दायर करने में 164 साल की देरी है और याचिका में कोई गुण नहीं है। इसके पहले 13 दिसंबर 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिका खारिज कर दिया था। याचिका सुल्ताना बेगम ने दायर किया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब सुल्ताना के पूर्वजों ने लाल किले पर दावे को लेकर कुछ नहीं किया, अब कोर्ट इसमें क्या कर सकता है। अब बहुत देर हो चुकी है।

सुल्ताना का कहना था कि 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरदस्ती लाल किला कब्जे में लिया था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा था कि सुल्ताना बेगम लालकिले की वैध मालकिन हैं। उन्होंने कहा था कि बहादुर शाह जफर के उत्तराधिकारी सुल्ताना बेगम हैं। याचिका में कहा गया था कि लाल किले पर सरकार ने गैरकानूनी रुप से कब्जा कर रखा है।

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