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विधानसभा में तीन दिवसीय प्रशिक्षण सह सेमिनार सत्र समाप्त हो गया

रांची, 12 जुलाई : झारखंड विधान सभा सचिवालय में विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका के दायित्व विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण सह सेमिनार सत्र आज समाप्त हो गया।
कार्यशाला में आज अंतिम दिन संसाधन पुरुष के रूप में “विधायिका एवं कार्यपालिका के बीच संबंध” पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन नई दिल्ली के महानिदेशक सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी
“विधि निर्माण की प्रक्रिया प्रारुपण,पुर:स्थापन, पारण एवं पुनर्विचार, प्रत्यायोजित विधान” विषय पर पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च,नई दिल्लीके चक्षु राय “संसदीय विशेषाधिकार विषय” पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की निदेशक मिरांडा इंगुदम,”समिति व्यवस्था” पर झारखंड विधानसभा के संयुक्त सचिव के मिथिलेश कुमार के द्वारा कार्यशाला में अपने वक्तव्य रखे गए।
समापन सत्र में विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने अपने संबोधन में कहा कि यह प्रशिक्षण सत्र विधायिका और कार्यपालिका के बीच समन्वय को और अधिक सुदृढ़ करने में सफल साबित होगा।भारतीय शासन व्यवस्था में सिविल सेवा की संरचना मूल रूप से ब्रिटिश शासन के अनुरूप होने के बावजूद भी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में जिम्मेदारियां पृथक है और सिविल सेवकों से लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप कार्य करने की अपेक्षा भाई की जाती है।
श्री महतो ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होता है परंतु यह समझ लेना बहुत बड़ी भूल होगी कि सिविल सेवकों का कोई उत्तरदायित्व विधायिका के प्रति नहीं है। विधानसभा के पटल पर सदस्यों के प्रश्न का उत्तर मंत्रियों द्वारा दिए जाता है। जिसे पदाधिकारियों द्वारा ही तैयार किया जाता है।संसदीय लोकतंत्र में समिति व्यवस्था के माध्यम से विधायिका कार्यपालिका के कार्य पर निगरानी रखती है। भारत का संविधान केवल नियमों की व्याख्या नहीं करता बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती से स्थापित भी करता है,जमीदारी उन्मूलन,संपत्ति-संबंधों में बदलाव तथा वंचित नागरिकों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में विशेष अवसर प्रदान करने जैसे उपाय भी ऐसे लोकतांत्रिक भावनाओं को इंगित करते हैं।

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