आदिवासी परंपरा और संस्कृति को गांव की महिलाओं ने बचा रखा है: मंत्री
खूंटी, 23 मार्च । झारखंड सरकार में कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति एवं परम्परा 65 हजार साल पुरानी है।
आज जिस संस्कृति और परम्परा को बचाने की बात करते है,. इसको आज गांव की दीदियों ने बचाकर रखा है। मंत्री रविवार को आदिवासी महिला मंच के तत्वावधान में महिला विकास केंद्र तोरपा में आयोजित वार्षिक महिला उत्सव का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित कर रही थी। इसके पूर्व बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने लोहरदगा के सांसद सुखदेव भगत के साथ समारोह का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया।
मंत्री शिल्पा नेहा तिर्की ने कहा कि शहरों में यह परम्परा देखने को नहीं मिलती। हमारे पुरखों के पास जो ज्ञान था, उस पर आज के लोग शोध कर है। हमारे पुरखों को लिखना-पढ़ना नहीं आता था। इसलिए उनके ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन नहीं हो पाया है। हमारा समाज गरीब नहीं, हमेशा से संतुष्ट समाज रहा है। हमारे आसपास जो चीजे है उसी से अपनी जरूरत पूरा कर लेते है। उन्होंने कहा कि महिला और दीदियों का बहुत बड़ा योगदान समाज के विकास में है।
हम महिलाओं को यह संकल्प लेना चाहिये कि एक दूसरे को नीचा नहीं दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को संगठित कर एफपीओ बनाकर काम करें। अच्छा एफपीओ को 15 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन में रुचि रखने वाली दीदियों कि सूची दें, उन्हें योजना का लाभ दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में मोती उत्पादन का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
महिलाएं घर व समाज को संवारती है: सुखदेव भगत
लोहरदगा के सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर उनमे निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना ही महिला सशक्तिकरण है। उन्होंने कहा कि महिलाएं घर और समाज को संवारती है। उन्होंने कहा कि डायन जैसी कुप्रथा और नशापान समाज को खोखला कर रही है। इसे दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जल जंगल जमीन हमरा नारा नहीं, संकल्प है इसके लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे। वासवी कीड़ो ने कहा कि आदिवासियों के ज्ञान और परम्परा को संरक्षित, सुरक्षित एवं प्रोत्साहित करने की जरूरत है। मौके पर काफी संख्या में मुखिया और अन्य उपस्थित थे।