दूसरों के दुखों को दूर करने का प्रयत्न हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग: राज्यपाल
पूर्वी सिंहभूम/रांची, 11 अक्टूबर । राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि हम धरती को माता और देश को भारतमाता पुकारते हैं। हमारी संस्कृति हमें यही सिखाती है। हमारी संस्कृति काफी उच्च है। दूसरों के दुखों के प्रति संवेदना प्रकट करना और उसे दूर करने का प्रयत्न करना हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है।
राज्यपाल बुधवार को पूर्वी सिहंभूम (जमशेदपुर) में उत्क्रमित 2 टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय, कदमा में बच्चों से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें हर्ष है कि इस विद्यालय को शिक्षक एवं छात्रों ने मिलकर उत्कृष्ट बनाया है। उन्होंने कहा कि हमें यह सोचकर जीवन में काम नहीं करना है कि हमें पुरस्कार प्राप्त होगा या सम्मान प्राप्त होगा बल्कि प्रतिबद्ध होकर अथक प्रयास करते रहना है। सफलता अवश्य मिलेगी।
राज्यपाल ने बच्चों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि जिंदगी में पहली प्रेरणा उनको मां से मिला और उनमें देशभक्ति, अध्यात्म एवं समाज सेवा की भावना विकसित हुई। जब उन्हें सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो तब उन्होंने जिस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की था, उस विद्यालय के अतिरिक्त 35 से अधिक विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए 10-10 लाख रुपये आवंटित किया था।
उन्होंने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि एक समय में एक कार्य करें और उसे अच्छी तरह से पूर्ण करें। खेलने के समय खेले और पढ़ने के समय पढ़ें। अगले दिन पढ़ाई जाने वाली विषय को एक दिन पूर्व पढ़ कर जाएं। पढ़ाई गई विषयों का लिखकर अभ्यास करें। जीवन में तनाव आता है परंतु उसे हावी ना होने दें। उन्होंने सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की एवं विद्यालय में लगाए गए प्रदर्शनी को देखा तथा सराहना की।