हम जहर की राजनीति नहीं करते, सबका कल्याण हमारा ध्येय : मोदी
नयी दिल्ली, 04 फरवरी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वह संविधान की भावना को जी रहे हैं, गरीबों को मजबूत बनाने के लिए पारदर्शी तरीके से काम कर रहे है तथा जहर की राजनीति से दूर रहकर समाज में तनाव पैदा किये बिना सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।
श्री मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में 17 घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पिछले दस साल में उनके फोकस में सिर्फ गरीब ही रहा है और गरीबों के उत्थान के लिए उन्होंने इस तरह की पारदर्शी योजनाएं बनाई जिनका सीधा लाभ देश के गरीबों को मिले। डिजीटली प्रौद्योगिकी के जरिए कल्याणकारी योजनाओं काे गरीबों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है।
संविधान को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए श्री मोदी ने कहा, “राष्ट्रपति ने (अभिभाषण में) संविधान के 75 वर्ष पूरे होने की विस्तार से चर्चा की है। संविधान में जो धाराएं हैं, संविधान की एक भावना भी है। संविधान को मजबूती देने के लिए उसकी भावना को जीना पड़ता है। हम वो लोग हैं जो संविधान को जीते हैं।” उन्होंने कहा कि संविधान की भावनाओं का सम्मान करते हुए हमने उस समय भी सबसे बड़े विपक्षी दल को सम्मान दिया जब 2014 में मान्य विपक्ष भी नहीं था। हमने सबके हित के लिए काम करने का तरीका बदला।”
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने पहले शासन का मॉडल ही ऐसा बनाया था कि कुछ ही लोगों को दो, औरों को तड़पाओ और तुष्टिकरण की राजनीति करो। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा विश्वास है कि देश को विकसित बनाने के लिए तुष्टिकरण से मुक्ति पानी होगी। हमने रास्ता चुना है- संतुष्टिकरण का। हर समाज, हर वर्ग के लोगों को उनका हक मिलना चाहिए।
श्री मोदी ने अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के कल्याण के लिए अपनी सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया और कहा, “जाति की बातें करना कुछ लोगों का फैशन बन गया है। पिछले 30 साल से सदन में आने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज के सांसद दलों के भेदभाव से ऊपर उठकर एक होकर मांग कर रहे थे कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए। जिन लोगों को आज जातिवाद में मलाई दिखती है, उन लोगों को उस समय ओबीसी की याद नहीं आई। हमने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया।”
उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले। देशवासियों के साथ इस अहम सवाल पर चिंतन और चर्चा करने की जरूरत है। क्या एक ही समय पर संसद में अनुसूचित जाति वर्ग के एक परिवार के तीन सांसद हुए हैं? उन्होंने कहा कि हम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समाज को कैसे मजबूत बनायें और समाज में तनाव पैदा किये बिना वंचित वर्ग के कल्याण के लिए कैसे काम किया जाता है, इसके कई उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के पहले देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे, आज 781 मेडिकल कालेज हैं। जाहिर है कि इसी हिसाब से सीटें भी बढ़ी हैं। वर्ष 2014 में अनुसूचित जाति के लिए छात्रों के लिए एमबीबीएस की सीटें 7007 थीं जो अब 17000 से अधिक हो गयीं हैं। इसी प्रकार से हर क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए सीटें कई गुना बढ़ गयीं हैं। समाज में तनाव लाये बिना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों को विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम आदि संस्थानों में अधिक जगह मिली है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि विदेश नीति पर न बोलें तो बात पूरी नहीं होती है चाहे देश का नुकसान ही क्यों न हो जाए। अगर कुछ लोगों को विदेश नीति में समझ बनानी है तो उसे ‘जेकेएफ्स फोरगोटन क्राइसिस’ किताब पढ़नी चाहिए। इस किताब में महत्पू्र्ण घटनाओं का जिक्र है। इसमें देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति का बातचीत का विवरण है। जब देश चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेशी नीति में क्या खेल चल रहा था इसे पढ़ने के बाद समझ में आयेगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद उनका सम्मान न कर सके, लेकिन क्या-क्या कहकर अपमानित किया जा रहा है। आज भारत इस प्रकार की विकृत मानसिकता को छोड़कर ‘महिला लेड विकास’ को लेकर आगे बढ़ रहा है। पिछले दस साल में सेल्फ हेल्प ग्रुप में दस करोड महिलाएं जुडी है जो ग्रामीण महिलाएं। इससे महिलाओं का सामाजिक स्तर ऊंचा हुआ है। इसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हमारी तीसरी बार सरकार बनने के बाद 50 लाख से ज्यादा लखपति दीदी की जानकारी पहुंची है। अब तक सवा करोड़ लखपति दीदी बनी है और हमारा तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य है।
श्री मोदी ने कहा कि नमो ड्रोन दीदी योजना से लाखों रुपये महिलाएं कमा रही है। चार करोड़ गरीबों को जो घर मिला है उसमें 75 प्रतिशत घर की मालकिन महिला है। ग्रामीण अर्थव्यस्था को सशक्त किये बिना विकसित भारत का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते है इसलिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढाने का काम किया है। खेती के बजट में दस गुणा वृद्धि की गई है। आज जो लोग यहां किसान की बात करते हैं वर्ष 2014 से पहले किसानों को यूरिया मांगने पर लाठी पडती थी। एक जमाना था यूरिया किसानों के नाम पर निकलता था और कहीं चला जाता है। आज सरकार को जो यूरिया का बोरा तीन हजार में पड़ता है उसे किसान को तीन सौ रुपये से भी कम में देते हैं। हमने रिकार्ड एमएसपी भी बढ़ाया और तीन गुणा अधिक खरीदी की है। सिंचाई के लिए बीते दशक में अभूतपूर्व कदम उठाये गये है। उन्होंने कहा कि सौ से अधिक सिचाई योजना जो दशकों से लंबित था उसे पूरा किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) बड़ा योगदान दे रहा है। एमएसएमई क्षेत्र में सुधार के लिए कई पहलुओं पर काम शुरु किया गया। कोविड के संकट काल में एमएसएमई क्षेत्र को विशेष बल दिया। बिना किसी गारंटी के हजारों उद्योगों को लोन दिया गया। एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियां बनाई जिससे आज खिलौने भारत से निर्यात किए जा रहे है जबकि 2014 से पहले खिलौने आयात किये जाते थे। विकसित भारत के सपने के साथ देश आगे बढ़ रहा है। यह सपना 140 करोड़ देशवासियों का है। देश के आजादी के जब सौ साल पूरे होंगे तो देश विकसित भारत बनकर रहेगा। देश की आवश्यकता के अनुसार आधुनिक भारत विकसित भारत बनाने के लिए वर्षों तक जुटे रहेंगे।
अपने डेढ़ घंटे के भाषण का समापन करते हुए श्री मोदी ने सभी दलों का आह्वान किया कि देश से बड़ा कुछ नहीं है हम सब मिलकर विकसित भारत बनायें।