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मनुष्य के अन्दर की अच्छाई जब बाहर आती है तो रामराज्य की होती है स्थापना : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

  • परमार्थ निकेतन शिविर में मानस महाकुम्भ का हुआ आयोजन

महाकुम्भ नगर: परमार्थ निकेतन शिविर अरैल में स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मनुष्य के अंदर जब अच्छाई बाहर आती है तो रामराज्य की स्थापना होती है। एक वर्ष पहले ठीक आज ही के दिन 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, जिसके हम सभी साक्षी थे। वह सनातन संस्कृति का एक सिग्नेचर इवेंट था। इस दौरान बुधवार को श्रद्धालुओं को स्वामी संतोषदास(सतुआ बाबा), साध्वी भगवती सरस्वती और मोरारी बापू के हो रही दिव्य मानस कथा में आचार्य सुधांशु महाराज का सान्निध्य भी प्राप्त हुआ।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा वह केवल राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा नहीं, बल्कि राष्ट्र मंदिर की प्रतिष्ठा है, जो पूरे विश्व को संदेश दे रहा है। भारत एक है और विविधता में एकता, भारत की विशेषता है और इसी का दर्शन आज का यह भव्य उत्सव करा रहा है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के अन्दर की अच्छाई जब बाहर आती है तो रामराज्य की स्थापना होती है। समाज का उत्थान होता है और जब बुराई बाहर आती है तो रावण की तरह पतन होता है। लगभग 500 वर्षों की कड़ी तपस्या के पश्चात आज के ही दिन भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हुई। अब समय है कि हम सब मिलकर हमारे समाज में श्रीराम के आदर्शों को भी स्थापित करें। भारतीय संस्कृति ऐसी है कि जो हमारे पास आया, उसका हमने अभिनन्दन किया । हमारे जो मूल्य, संस्कृति व संस्कार हैं, उनका हम वंदन करें। उन्होंने सभी का आह्वान करते हुए कहा कि धनवान वह नहीं है, जिसकी तिजोरी में धन भरा हुआ है। बल्कि धनवान तो वह है जिसकी जीवन रूपी तिजोरी सत्य, प्रेम, करूणा व इंसानियत से भरी हुई है।

आचार्य सुधांशु महाराज ने कहा कि एक बार तीर्थराज प्रयाग में ऋषि याज्ञावल्क्य के साथ अनेक ऋषि-महर्षि एकत्र हुए और चर्चा हो रही थी कि संसार में सबसे बड़ा अभागा कौन है। जिसके पास धन नहीं, जिसके पास ज्ञान नहीं है, क्या वह सबसे बड़ा अभागा है। उसी समय व्यास ऋषि खड़े हुए और कहा कि जिसके पास प्रभु का नाम नहीं, वह सबसे बड़ा अभागा है। मोरारी बापू न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में प्रभु का नाम पहुंचा रहे हैं।

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