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झारखंड में महिला सुरक्षा का संकट : राफिया

रांची , 01जून । झारखंड में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक और भयावह होती जा रही है। हाल ही में गुमला की एक आदिवासी किशोरी के साथ राजधानी रांची में जो घटना हुई, वह मानवता को शर्मसार करने वाली है। एक मासूम को दिनदहाड़े बहला-फुसलाकर अगवा किया गया, फिर जंगल में ले जाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। यह कोई अकेली घटना नहीं है। यह उस व्यवस्था का नमूना है, जो राज्य की बहन-बेटियों को सुरक्षा देने में पूरी तरह असफल हो चुकी है।

भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज़ ने इस अमानवीय घटना पर झारखंड सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राज्य की महिलाएं आज भय और असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर हैं। झारखंड सरकार की नीतियां और घोषणाएं केवल दिखावे की रह गई हैं। मंईयां सम्मान योजना” जैसी योजनाएं सिर्फ पोस्टर और बैनर तक सीमित हैं। जमीनी हकीकत यह है कि महिलाएं न तो सुरक्षित हैं, न ही उन्हें न्याय की कोई गारंटी है।

राफिया ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि महिला आयोग का न होना सबसे बड़ा सवाल है। झारखंड राज्य महिला आयोग सितंबर 2020 से निष्क्रिय है। पिछले चार वर्षों से राज्य में महिला आयोग का कोई अध्यक्ष नहीं है, न ही कोई सदस्य। जब एक संवैधानिक संस्था, जो महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए बनाई गई हो, वह खुद निष्क्रिय हो, तो सरकार की प्राथमिकताएं स्पष्ट हो जाती हैं। वर्तमान में महिला आयोग में 3,137 से अधिक मामले लंबित हैं। हजारों पीड़िताएं न्याय के लिए दर-दर भटक रही हैं, लेकिन सुनवाई का कोई मंच ही मौजूद नहीं है।

राफिया ने कहा की राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों ने सरकार की पोल खोलकर रख दी है। एनसीआरबी के 2022 के आंकड़े दर्शाते हैं कि झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। झारखंड पूरे देश में सबसे अधिक दहेज उत्पीड़न के मामलों वाला राज्य है, जहां 1,844 दहेज संबंधित मामले सामने आए। इसके अलावा, बलात्कार, बालिकाओं की तस्करी, यौन उत्पीड़न, अपहरण और घरेलू हिंसा के मामलों में झारखंड शीर्ष पर है।

राफिया ने कहा कि 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के कुल 7,678 मामले दर्ज किए गए। इनमें से बड़ी संख्या में केस ऐसे हैं, जिनमें आज तक कोई जांच पूरी नहीं हुई। कई मामलों में पीड़िता को न्याय के लिए वर्षों इंतज़ार करना पड़ रहा है।

राफिया ने साथ में यह भी कहा कि मंईयां सम्मान योजना केवल दिखावे की योजना है, क्योंकि मंईयां सम्मान योजना जैसी योजनाएं केवल मीडिया हेडलाइन के लिए चलाई जा रही हैं। सरकार सच में महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को लेकर गंभीर होती, तो सबसे पहले महिला आयोग का गठन करती, महिलाओं की शिक्षा ,स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं, सुरक्षा, वृद्धा माताओं को पेंशन ,विधवाओं बहनों को पेंशन सुनिश्चित करती। लेकिन वर्तमान सरकार के लिए महिलाएं प्राथमिकता में नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं।

इन क्षेत्रों में महिला पुलिस बल, हेल्पलाइन या त्वरित सुरक्षा व्यवस्था का पूर्ण अभाव है। राफिया नाज़ ने सरकार से मांग की है कि “महिला आयोग का तुरंत गठन किया जाए, ताकि महिला संबंधित मामलों की सुनवाई और निस्तारण प्रभावी ढंग से हो सके।

साथ ही पीड़िता बहनों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के ज़रिए त्वरित न्याय दिलवाया जाए और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।

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