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एक सैनिक को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है योग: राजनाथ सिंह

उधमपुर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने योग के प्रति सशस्त्र बल जवानों के रुझान की सराहना करते हुए कहा कि यह अभ्यास सैनिकों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है और युद्ध के मैदान में इसका लाभ देखा जा सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उधमपुर के उत्तरी कमान मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शनिवार को सामूहिक योग प्रदर्शन का नेतृत्व किया जिसमें 2,500 सैनिकों के साथ विभिन्न आसन और श्वांस अभ्यास किए गए। कार्यक्रम में थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा भी शामिल हुए। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के चुनौतीपूर्ण इलाकों में कई अग्रिम स्थानों पर भी योग सत्र आयोजित किए गए जिसमें सैनिकों की प्रतिबद्धता और उत्साह को दिखाया गया।

रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बल जवानों के योग के प्रति रुझान की सराहना की और कहा कि इसका उनके अनुशासन और ध्यान पर सीधा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने सैनिकों को रोजाना इसका अभ्यास जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि योग एक सैनिक को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है। यह अभ्यास स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। उन्होंने योग को आज की तेज गति वाली दुनिया में लोगों के सामने आने वाली समस्याओं जैसे तनाव, चिंता और अवसाद का सार्वभौमिक समाधान बताया।

उन्होंने कहा कि योग अराजकता में लोगों को स्पष्टता देता है। यह एक कला, एक विज्ञान, एक दर्शन और आध्यात्मिकता है। जो लोग अपने दैनिक जीवन में योग का अभ्यास करते हैं वह अपने शरीर और मन पर नियंत्रण रखते हैं। यह हमें प्रतिक्रियाशील नहीं बल्कि सक्रिय बनाता है। ऑपरेशन सिंदूर को उस नियंत्रण का एक शानदार उदाहरण बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन के दौरान संयम, संतुलन और सटीकता का प्रदर्शन किया जो योग के अभ्यास से प्राप्त उनकी आंतरिक शक्ति का प्रतिबिंब है।

उन्होंने कहा कि जब राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है तो उसे इस अभ्यास का सही अर्थ याद रखना चाहिए जो समाज के हर वर्ग को भारत की संस्कृति और आत्मा से जोड़ना है। अगर एक भी वर्ग पीछे छूट जाता है तो एकता और सुरक्षा का पहिया टूट जाता है। इसलिए आज हमें योग को समाज और विचार के स्तर पर करना चाहिए, न कि केवल शरीर के स्तर पर। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से भारत ने दुनिया को ऐसा साधन दिया है जो किसी भी सीमा, धर्म और संस्कृति से परे है।

उन्होंने बताया कि हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम एक वैश्विक संदेश देती है कि भारत केवल अपने लिए नहीं बल्कि दुनिया के कल्याण के बारे में सोचता है। इस साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य है। पूरा विश्व एक परिवार है और इसके लिए काम करना हमारी सोच का हिस्सा है। योग इस सोच की व्यावहारिक अभिव्यक्ति है, यह चुपचाप दुनिया को बदल रहा है और हर नागरिक को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि भारत की प्राचीन परंपरा को वैश्विक स्तर पर मान्यता और स्वीकृति मिल रही है।

उन्होंने इसे एक जिम्मेदारी बताया कि योग को सिर्फ़ एक चलन के तौर पर न अपनाया जाए बल्कि इसे जीवन जीने का तरीका बनाया जाए। हमारे जीवन में योग को एक संकल्प के तौर पर शामिल करने की ज़रूरत है। इसे हमारी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए क्योंकि यह हर किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि योग अब सिर्फ़ एक व्यक्तिगत अभ्यास नहीं रह गया है बल्कि यह एक वैश्विक आंदोलन बन गया है जिसमें संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य अंतरराष्ट्रीय समूह इसे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के दायरे में शामिल कर रहे हैं।

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