योगी सरकार की पहल से बदली समाज की सोच, लैंगिक समानता की मिसाल बना यूपी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं और बालिकाओं के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाएं समाज में बड़ा बदलाव ला रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत शुरू की गई ‘कन्या जन्मोत्सव’ पहल ने पूरे देश में एक मिसाल कायम की है।
इस पहल का उद्देश्य बालिकाओं के जन्म को उत्सव की तरह मनाना और समाज में लड़कियों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना है। प्रदेश में अब तक 3,822 कार्यक्रम आयोजित कर 35,489 बालिकाओं के जन्म का उत्सव मनाया जा चुका है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की इस पहल की केंद्र सरकार ने सराहना की है और इसे अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय मॉडल बताया है। यह कार्यक्रम न केवल जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है, बल्कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देकर समाज में एक नई सोच विकसित कर रहा है।
बालिकाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए योगी सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। इनमें मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना एक अहम योजना है, जिसके तहत अब तक 23.10 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है। इस योजना के तहत बालिका के जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक आर्थिक सहायता दी जाती है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक संदीप कौर ने बताया कि कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत बालिका के जन्म पर 5,000 रुपये और एक वर्ष तक के पूर्ण टीकाकरण पर 2,000 रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा कक्षा 1 और 6 में प्रवेश पर तीन-तीन हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा कक्षा 9 में प्रवेश पर 5,000 रुपये और 10वीं या 12वीं पास करने के बाद स्नातक या डिप्लोमा में प्रवेश पर 7,000 रुपये दिए जा रहे हैं। इस तरह, एक लाभार्थी को कुल 25,000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है, जिससे उसकी शिक्षा और भविष्य सुरक्षित हो सके।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने और समाज में लैंगिक समानता स्थापित करने के लिए ‘कन्या जन्मोत्सव’ की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के तहत नवजात बालिकाओं के जन्म को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम में पिता, भाई, परिवार के अन्य सदस्य, जनप्रतिनिधि और समाज के गणमान्य लोग शामिल होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बालिका के जन्म को सकारात्मक रूप से देखा जाए। प्रदेश में इस पहल के तहत हर महीने के पहले और तीसरे सोमवार को जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ताकि समाज में लड़कियों के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके।
योगी सरकार ने इस पहल को और आकर्षक बनाने के लिए नवजात बालिकाओं को उपहार देने की व्यवस्था की है। जन्म के बाद बालिकाओं को बधाई कार्ड, बेबी किट, ऊनी कपड़े, मिठाइयां और बर्थडे केक देकर उत्सव मनाया जाता है। 6 फरवरी 2023 को उत्तर प्रदेश में एक साथ 95 कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 1,707 बालिकाओं के जन्म का उत्सव मनाया गया। इस तरह के प्रयासों से बालिकाओं के प्रति समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘कन्या जन्मोत्सव’ को केवल सरकारी योजना तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे सामाजिक आंदोलन में बदला है। इस पहल में महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायती राज और स्थानीय प्रशासन को एकीकृत किया गया है, जिससे इसका प्रभाव व्यापक हो सके। इस कार्यक्रम में समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है। पिता, भाई, दादा-दादी, गांव के प्रधान और अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी इस पहल का हिस्सा बनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पितृसत्तात्मक मानसिकता को समाप्त करना और समाज में लैंगिक समानता की भावना विकसित करना है।
‘कन्या जन्मोत्सव’ केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज में एक सतत सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह पहल लैंगिक भेदभाव और पूर्वाग्रहों को चुनौती देती है और समावेशिता और समानता को प्रोत्साहित करती है। सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में लड़कियों की जन्मदर में वृद्धि दर्ज की गई है और समाज में सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से एक ऐसा वातावरण तैयार किया गया है, जहां लड़कियों का जन्म खुशी और गर्व का विषय बने।
उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन चुकी है। केंद्र सरकार ने इस पहल की सराहना करते हुए अन्य राज्यों को भी इसे अपनाने की सलाह दी है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने जो सामाजिक परिवर्तन की नींव रखी है, वह आने वाले समय में एक बड़े बदलाव का कारण बनेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश बालिका सशक्तिकरण और लैंगिक समानता की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। यह पहल देश की मानसिकता को बदलने, बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें समान अवसर देने के लक्ष्य को साकार करने का एक सशक्त माध्यम बन रही है।
–आईएएनएस